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क्षमा - सत्य - संतोषदयादिक ,
सुभगसकलपरिवारः । देवासुरनरपूजित - शासन ,
___ कृत-बहुभवपरिहारः , पालय० ॥ १३६ ॥
अर्थ-क्षमा, सत्य, सन्तोष और दयादि जिसका सुभग परिवार है, जो देव, असुर और मनुष्यों से पूजित है, ऐसा यह शासन (जिनशासन) बहुत भवों का परिहार करने वाला है ।। १३६ ॥
विवेचन धर्म से भव-भयनाश
क्षमा, सत्य, सन्तोष और दया आदि सौभाग्यशाली धर्म परिवार के सदस्य हैं। क्षमा आदि १० यतिधर्मों में पापनिवारण की अद्भुत शक्ति रही हुई है।
'क्षम्' धातु सहन करने के अर्थ में होती है। दूसरे के द्वारा किए गए अपमान आदि को शान्त भाव से सहन करना क्षमा कहलाता है।
क्षमाशील व्यक्ति के चरणों में देवता भी नमस्कार करते हैं । भगवान महावीर क्षमा के महासागर थे। कमठ के भयंकर उपसर्ग से भी प्रभु पार्श्वनाथ की आत्मा चलित न बनी और उन्होंने कमठ को क्षमा कर दिया। शत्रु और मित्र के प्रति उनकी समान दृष्टि थी । सिर पर अंगारे रखने वाले के प्रति गजसुकुमाल मुनि की कितनी दिव्य दृष्टि थी? वे तो कहते हैं
शान्त सुधारस विवेचन-२५