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अकाल
अकासिय
भगवन्तं दस्सनाय, पटिसल्लीनो भगवा, म. नि. 2.224; - अनत्थवादी... अविनयवादी, म. नि. 1.360; म. नि. 3.96%; चारी त्रि., [अकालचारिन्], अनुपयुक्त समय में पिण्डपात अकालवादीति आदीसु अकाले वदतीति अकालवादी, अ. के लिए जाने वाला, असमय में भिक्षा के लिए गमन करने नि. अट्ठ. 2.258; - विज्जुलता स्त्री., [अकालविद्युल्लता], वाला - अकालचारिहि सजन्ति सङ्गा.... सु. नि. 388; - असामयिक बिजली की चमक अथवा आकाश में बिना ऋतु चीवर नपुं., कर्म. स. [अकालचीवर], अनिर्धारित काल में के चमकने वाली बिजली - अकालविज्जुलता हिमवन्तपदेसे प्राप्त चीवर, चीवरकाल के लिए निर्धारित काल से भिन्न समन्ता निच्छरिंसु, जा. अट्ठ. 7.345; - समय पु., कर्म. स. काल में प्राप्त चीवर, पवारणा' के पश्चात् सामान्यतया एक [अकालसमय], अप्रत्याशित क्षण - अथेकदिवसं अकालसमये माह के उपरान्त प्राप्त होने वाला चीवर - अकालचीवरं .... जा. अट्ठ. 1.480(रो.), पाठा. निदाघसमये. नाम अनत्थते कथिने एकादसमासे उप्पन्न, अत्थते कथिने अकालिक त्रि., [अकालिक]. 1. कादाचित्क, कभी-कभी ही सत्तमासे उप्पन्न, कालेपि आदिस्स दिन्नं, एतं अकालचीवरं उत्पन्न होने वाला, काल-निरपेक्ष- अकालिकं कदाचुप्पत्तिक, नाम, पारा. 313; पाचि. 333; - त्रि., [अकालज्ञ], मि. प. 121; 2. तात्कालिक रूप में प्राप्त, वह, जिसके प्राप्त उचित समय को न जाननेवाला, उपयुक्त समय का ज्ञान होने में समय की अपेक्षा नहीं हो, इसी जन्म में प्राप्त होने न रखने वाला - अकालभू च, अमत्तञ्चू च, अ. नि. वाला - ब्रह्मचरियचरणं नाम दुतिये वा ततिये वा अत्तभावे 3(1).7; - पुष्फ नपुं., कर्म. स. [अकालपुष्प]. बेमौसमी विपाकदानतो कालिकं नाम, रज्ज पन इमस्मियेव अत्तभावे फूल, असमय पर खिलनेवाला फूल - तेन खो पन समयेन कामगुणसुखुप्पादनतो अकालिकं, जा. अट्ठ. 3.348; धम्मो यमकसाला सब्बफालिफुल्ला होन्ति अकालपुप्फेहि, दी. नि. सन्दिछिको अकालिको एहिपस्सिको .... म. नि. 1.48; 2.104; अकालपुप्फानि सुट्ट पुप्फापेन्तो, जा. अट्ठ. 2.86; - धम्मेन दिढेन विदितेन अकालिकेन पत्तेन परियोगाळ्हेन, फल नपुं.. कर्म. स. [अकालफल], बेमौसमी फल, असमय स. नि. 1(2).50. पर फलने वाला फल - अकालफलानि गण्हापेन्तो, जा. ___अकालुस्सिय नपुं., भाव., निषे., केवल स. पू. प. के रूप अट्ठ. 2.86; - मच्चु पु., कर्म. स. [अकालमृत्यु], असमय में ही उपलब्ध [अकालुष्य], कालुष्य एवं मलिनता से मुक्ति पर मृत्यु - अत्थि अरहतो अकालमच्चु, क. व्या. 640; - की अवस्था, पवित्रता; - पच्चु पट्ठान त्रि., मरण नपुं.. कर्म. स. [अकालमरण]. अकालमृत्यु - अन्तरा [अकालुष्यप्रत्युपस्थान], अकालुष्य द्वारा उत्पादित, विशुद्धि अकालमरणं नाम नो नत्थीति अत्थो, जा. अट्ठ. 4.48; के फलस्वरूप उत्पन्न - तत्थ ... सद्धा अकालमरणं कम्मुपच्छेदककम्मवसेन, विसुद्धि. 1.220; - अकालुस्सियपच्चुपवाना वा ..., सु. नि. अट्ठ. 1.114; ध. मेघ पु., कर्म. स. [अकालमेघ], असमय में उत्पन्न होने स. अट्ठ. 165. वाला बादल - अकालमेघो वस्सि, जा. अट्ट, 1.62; अकाले अ., क्रि. वि., सप्त. वि. के अर्थ वाला निपा., अकालमेघोत्वेव सङ्घगच्छति, मि. प. 121; महा अकालमेघोति अनुपयुक्त समय में, अनिर्दिष्ट काल में - अक्खित्थियो असम्पत्ते वस्सकाले उप्पन्नमहामेघो, उदा. अट्ठ. 79; - वारुणी नच्चगीतं, दिवा सोप्पं पारिचरिया अकाले, दी. नि. रावी स्त्री., [अकालरावी]. असमय में ध्वनि करने वाला, 3.140; अकाले अत्तनो वसनट्ठानतो न निक्खमितब्बं जा. असमय में कोलाहल करनेवाला - इदं सत्था जेतवने अट्ठ. 2.175. विहरन्तो एक अकालराविं भिक्खं आरभ कथेसि, जा. अट्ठ. अकालेन अ.. तृ. वि. के अर्थ वाला निपा., असमय में, 1.417; - रावीकुक्कुट पु., कर्म. स., असमय में या बिना अनुपयुक्त अवसर पर - अकालेन हि निक्खम्म, एककम्पि पि ऋतु में चिल्लाने वाला कुक्कुट - अकालरावी कुक्कुटो बहुज्जनो, न किञ्चि अत्थं जोतेति, जा. अट्ठ. 2175; यो त्वं अम्हहि घातितो, जा. अट्ठ. 1.418; - रूप त्रि., कर्म. मतालयं कत्वा, अकालेन विपेक्खसीति, जा. अट्ठ. 3.471. स., असुविधाजनक, अवसर के लिए अननुकूल - यो अकासिक त्रि., निषे. स. [अकाशिक]. शा. अ. जो काशी अत्तनो दुक्खमननुपुट्ठो, पवेदये जन्तु अकालरूपे, आनन्दिनो क्षेत्र का नहीं है, ला. अ. उत्तम गुणों से विहीन - न खो तस्स भवन्ति मित्ता, जा. अट्ठ. 4.202; - वादी त्रि. पनस्साहं भिक्खवे, अकासिकं चन्दनं धारेमि अ. नि. 1.170. [अकालवादिन]. अनुचित अवसर पर बोलने वाला, अवसर अकासिय त्रि. [आकाशीय/आकर्षिक?], राजस्व एकत्रित के अनुरूप नहीं बोलनेवाला - अकालवादी अभूतवादी करने वाला सरकारी अधिकारी- अकासिया राजूहिवानसिट्ठा
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