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अर्थात् ये १० नाम सूर्य के हैं। अथवा १२ सूर्य हैं। यथा: wता. अर्यमा, मित्र मण अंश. भग इन्द्र विवस्वान पृषा स्वष्टा, सबिता विष । यही बात विष्णु पुराण ने कही है। विष्णु पु १५ अंश १ में आया है
वत्र विष्णुश्व शुक्रश्व जज्ञति पुनरेव च । area at aष्टा पूषा तथैव च ।। १३१ ॥ farara aai ata, मित्रो वरुण एव च । अंशो भगवादितिजा आदित्या द्वादशस्मृताः ।। १३२ ।। जो महाभारत ने कहीं नहीं विष्णुपुराण ने कहीं ( तथा अथर्ववेद ने इन नामों का कारण बड़ी ही उत्तमता से बता दिया है। जिसका उल्लेख हम ऊपर की पंक्तियों में कर चुके हैं)
निरुक्त और afte
freeक्तकार श्री यास्क देवत काण्ड में कहते हैं कि अथापि ब्राह्मणं भवति "अभिः सर्वा देवताः" इति ।
४ । १७
तस्योत्तराभूयसे निर्वचनाय, इन्द्रं मित्रं वरुणमग्रिमाहुः ।
० १ । १६४ धम्मः कः शुक्रः ज्योतिः सूर्यः अर्नामानि ।
शतपश्र० ९|४|२/२५
रुद्र मर्वः यः पशुपतिः, उग्रः, अशनिः भत्र महादेवः ईशान अनि रूपाणि कुमारोननमः । शतपथ | ६|१||१८