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गांधी अपने को स्वप्नदर्शी नहीं एक व्यावहारिक आदर्शवादी होने का दावा करते थे। उन्होंने कहा-अहिंसा का धर्म केवल ऋषियों और महात्माओं के लिए नहीं, वह जन साधारण के लिए भी है। जिस तरह से हिंसा पशुओं का जीवन-धर्म है, उसी तरह से अहिंसा हम मानवों का।......जिन ऋषियों ने हिंसा के बीच अहिंसा के सिद्धांत का पता लगाया, वे न्यूटन से भी अधिक सम्पन्न थे। वे वेलिंगटन से भी बड़े योद्धा थे। शस्त्रों के प्रयोग को स्वयं जानकर भी उन्होंने उनकी निरर्थकता को समझा और इस थके हुए संसार को सिखाया कि मुक्ति हिंसा के द्वारा नहीं, बल्कि अहिंसा के द्वारा ही मिल सकती है। 72 यह गांधी की अहिंसा आस्था का स्तम्भ है। कुविचार मात्र हिंसा है। मिथ्या भाषण हिंसा है। स्पष्ट है कि गांधी की अहिंसा में वैचारिक पवित्रता भी नितांत आवश्यक है, वाणी और संवेगों को भी नियंत्रित रखना अनिवार्य है। गांधी की अहिंसा अवधारणा मन, वचन और कर्म से संबद्ध है।
अहिंसा के विभिन्न रूप
गांधीवाद चिंतन में अहिंसा के मुख्य तीन प्रकार मिलते हैं1 निरपेक्ष अहिंसा एवं सापेक्ष अहिंसा। 2 नकारात्मक अहिंसा एवं सकारात्मक अहिंसा। 3 प्रयोगकर्ताओं के प्रसंग में अहिंसा के प्रकार।
निरपेक्ष अहिंसा (AbsoluteAhinsa) हिंसा का पूर्ण अभाव तथा समस्त जड़-चेतन व दृश्य-अदृश्य सृष्टि के प्रति पूर्ण प्रेम की अवस्था है। यह अहिंसा का पूर्ण विकसित रूप है जिसे सृष्टि की निरन्तर सक्रिय-सृजनात्मक आध्यात्मिक शक्ति भी कहा जा सकता है। वस्तुतः निरपेक्ष अहिंसा आत्म प्रतिष्ठित चेतना का ही लक्षण है।
मानव द्वारा केवल सापेक्ष अहिंसा (RelativeAhinsa) का पालन ही संभव है। सापेक्ष अहिंसा देश, काल एवं स्थिति के प्रसंग में मानव द्वारा अपनाने योग्य व्यावहारिक अहिंसा है। इसमें मानव अपने अथवा समाज के अस्तित्व की रक्षा की दृष्टि से हिंसा करने को मजबूर हो सकता है, किन्तु इस स्थिति में भी हिंसा कम-से-कम करने का लक्ष्य बना रहे। सापेक्ष अहिंसा की धारणा के अनुसार मानव जीवित रहते हुए न्यूनतम हिंसा से छुटकारा नहीं पा सकता है। उसके लिए सापेक्ष अहिंसा एक संभव व व्यावहारिक आदर्श है और यदि कोई व्यक्ति न्यूनतम हिंसा की मर्यादा का पालन करते हुए जीवन व्यतीत करता है, तो यह माना जाना चाहिए कि वह अहिंसा-व्रत का पालन कर रहा है।'73
नकारात्मक अहिंसा (NegativeAhinsa) के अपर नाम हैं-निषेधात्मक अहिंसा, अभावात्मक अहिंसा अथवा निष्क्रिय अहिंसा। यह सिद्धांत रूप में निरपेक्ष अहिंसा के समान हिंसा के पूर्ण निषेध में विश्वास करती है, किन्तु व्यवहार में यह सापेक्ष अहिंसा की तरह जीवन की रक्षा के लिए न्यूनतम हिंसा की मजबूरी को भी स्वीकारती है। यह उल्लेखनीय है कि सापेक्ष अहिंसा की तुलना में नकारात्मक अहिंसा में 'न्यूनतम हिंसा' के सिद्धांत का अधिक कठोरता से पालन किया जाता है। नकारात्मक अहिंसा का अनुयायी फसल की हानिकारक कीटों से रक्षा के लिए अथवा सर्प, बिच्छू आदि विषैले जन्तुओं से अपने जीवन की रक्षा के लिए अथवा मच्छरों से अपने स्वास्थ्य की रक्षा के लिए इन सबको वध के स्थान पर अन्य रक्षात्मक उपायों को अपनाना पसंद करता है।
सकारात्मक अहिंसा (PositiveAhinsa) के अन्य नाम हैं-भावात्मक अहिंसा, विधेयात्मक अहिंसा
महात्मा गांधी का अहिंसा में योगदान / 83