Book Title: Andhere Me Ujala
Author(s): Saralyashashreeji
Publisher: Adarsh Sahitya Sangh Prakashan

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Page 325
________________ आंकड़े इसके गवाह है । अहिंसा संकल्पित छात्र दस लाख पिचहत्तर हजार ( 1076203) बनें । अहिंसा प्रशिक्षण संचालित विद्यालयों की संख्या 569 है। प्रशिक्षकों द्वारा 1 लाख 95 हजार सदस्यों यानि छात्रों एवं अभिभावकों में, शिक्षकों में अहिंसा प्रशिक्षण दिया गया । अहिंसा प्रशिक्षण का प्रायोगिक उपक्रम भारत के विभिन्न राज्यों में केन्द्र स्थापन व स्वतंत्र रूप से कितना व्यवस्थित रूप से चलता है इसकी एक झलक 'अहिंसा प्रशिक्षण यात्रा डायरी' में देखी जा सकती है । अहिंसा की व्यापक प्रतिष्ठा के लिए महाप्रज्ञ सतत् अंतिम निःश्वास तक प्रयत्नशील रहे। इसकी संसतुति उनके द्वारा प्रदत्त घोषणा पत्रों में देख सकते हैं। सूरत आध्यात्मिक घोषणा पत्र का पूरक पत्र रतलाम अहिंसा घोषणा पत्र को बतलाते हुए उसमें क्रियान्विति का उल्लेख किया। महाप्रज्ञ ने बतलाया कि यदि आपके मन में करुणा और संवेदनशीलता है तो एक रूप होगा- विकास के स्रोत खुलेंगे, अन्यथा लड़ाई-झगड़ा, खींचतान और केकड़ा मनोवृत्ति पनपेगी । अहिंसा का प्रयोग पहले व्यक्ति स्वयं करे, फिर संस्थाओं में करे, समाज में करे तो स्वस्थ समाज रचना के प्रयास सफल हो सकते हैं। आज अहिंसा प्रशिक्षण के प्रति आकर्षण बढ़ा है। अहिंसा प्रशिक्षण का प्रयोग उभयधर्मा होना चाहिए । चेतना का परिवर्तन, व्यवस्था का परिवर्तन, रोजगार का प्रशिक्षण दोनों साथ चले तो अहिंसा तेजस्वी बन सकती है, जन जीवन अहिंसा के संस्कारों से अनुप्राणित हो सकता है। इस प्रयत्न के द्वारा ही अहिंसा को लोकार्पित किया जा सकता है। रोजगार मूलक विचारों को क्रियान्विति मिली। इसका स्वरूप बना- सम्यक् आजीविका और रोजगार का प्रशिक्षण। हमारी इस यात्रा में अनेक स्थानों पर अहिंसा के केन्द्र स्थापित हुए और अणुव्रत के कार्यकर्ताओं ने अब तक लगभग एक लाख परिवारों को इसका प्रशिक्षण दिया है। रोजगार का प्रशिक्षण प्राप्त कर आज वे बहुत अच्छी स्थिति में आ गए हैं। जिनके पास कुछ भी नहीं था, वे दो हजार से लेकर दस हजार रूपये मासिक कमाने की स्थिति में आ गए हैं। यह प्रशिक्षण का काम व्यापक स्तर पर चल रहा है । समय-समय पर महाप्रज्ञ के सान्निध्य में अथवा स्वतंत्र रूप से अहिंसा प्रशिक्षण शिविरों का समायोजन किया जाता है । अनेक प्रांतो के लोग - झारखंड, बिहार, छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र इत्यादि से आकर शिविर में भाग लेते हैं। जहां नक्सली हिंसा की समस्या ज्यादा है, वहां से भी कुछ लोग आते हैं । इन शिविरों में कोरा वाचिक प्रशिक्षण नहीं दिया जाता। ध्यान आदि के द्वारा उनकी आंतरिक वृत्तियों में बदलाव का प्रयत्न किया जाता है। रोजगार प्रशिक्षण के माध्यम से उन्हें जीविकोपार्जन का प्रशिक्षण दिया जाता है। नारे लगाने का समय बीत चुका । यथार्थ के धरातल पर कोई काम करने की जरूरत है। 6 महाप्रज्ञ के इस मंतव्य में यथार्थ का आकलन है। जिसका एक उदाहरण है - सूरत की पनास बस्ती । पनास वस्ती अहिंसा प्रशिक्षण के अन्तर्गत एक सूत्र है-रोजगार शुद्धि तथा रोजगार प्रशिक्षण। आज वेरोजगारी भी एक भयंकर समस्या है। रजनीकांत भाई के पास ऐसे लोगों की एक ऐसी टीम है जो 250 प्रकार के गृह उद्योगों का प्रशिक्षण देती है । पनास बस्ती - सूरत में भी रोजगार योजना लागू की गई । अनेक युवकों को मोमबत्ती बनाना, डिटरजेंट पाउडर बनाना आदि का प्रशिक्षण दिया गया। महिलाओं को अहिंसा की तकनीक : अहिंसा प्रशिक्षण / 323

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