Book Title: Andhere Me Ujala
Author(s): Saralyashashreeji
Publisher: Adarsh Sahitya Sangh Prakashan

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Page 413
________________ अहिंसा के साठ नाम 1. द्वीप - त्राण-शरण-गति प्रतिष्ठा - यह देवों, मुनष्यों और असुरों सहित संपूर्ण लोक के लिए द्वीप अथवा (दीपक) के समान शरण दात्री और हेयोपादेय का ज्ञान कराने वाली है । त्राण है - विविध प्रकार के जागतिक दुःखों से पीड़ित जन की रक्षा करने वाली, उन्हें शरण देने वाली, कल्याणेच्छु के लिए गति-गम्य-प्राप्त करने योग्य तथा समस्त गुणों एवं सुखों का आधार है। 2. निवर्ण मुक्ति का कारण, शांति स्वरूपा है। 3. निवृत्ति-दुर्ध्यान रहित है अतः मानसिक स्वस्थता रूप है । 4. समाधि - समता का कारण T 5. शक्ति 6. कीर्ति 7. क्रांति - अहिंसा के आराधन से क्रान्ति - तेजस्विता उत्पन्न होती है। 8. रति - प्राणी मात्र के प्रति, मैत्री, अनुरक्ति - आत्मीयता को उत्पन्न करने के कारण वह रति है । 9. विरति 10. श्रुताङग् - सत्शास्त्रों के अध्ययन-मनन से अहिंसा उत्पन्न होती है । 11. तृप्ति-सन्तोषवृत्ति भी अहिंसा का अंग है । 12. दया 13. विमुक्त 14. क्षांति-क्षमा, यह भी अहिंसा रूप है । 15. सम्यक्त्वाराधना 16. महती - समस्त व्रतों में महान् 17. afer 18. बुद्ध 19. धृति 20. समृद्धि - जीवन को आनंदित करने वाली 21. ऋद्धि-लक्ष्मी प्राप्ति का कारण 22. वृद्धि-धर्म की वृद्धि का कारण 23. स्थिति-मुक्ति में प्रतिष्ठित करने वाली 24. पुष्टि - पुण्य का उपचय करने वाली अहिंसा के साठ नाम / 411

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