Book Title: Andhere Me Ujala
Author(s): Saralyashashreeji
Publisher: Adarsh Sahitya Sangh Prakashan

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Page 414
________________ 25. नन्दा 26. भद्रा 27. विशुद्धि 28. लब्धि 29. विशिष्ट दृष्टि-विचार और आचार में अनेकांत प्रधान दर्शन वाली 30. कल्याण 31. मंगल 32. प्रमोद 33. विभूति 34. रक्षा 35. सिद्धावास-मोक्ष हेतु 36. अनानव 37. केवल स्थानम् 38. शिव 39. समिति-सम्यक् प्रवृत्ति 40. शील 41 संयम 42. शील परिग्रह-चारित्र का स्थान। 43. संवर 44. गुप्ति 45. व्यवसाय-उत्कृष्ट निश्चय रूप 46. उच्छ्रय-प्रशस्त भावों की उन्नति 47. यज्ञ-जीव रक्षा में सावधानता स्वरूप 48. आयतन-समस्त गुणों का स्थान 49. अप्रमाद 50. आश्वास-प्राणियों के लिए आश्वासन 51. विश्वास 52. अभय 53. सर्वस्य अमाघात-प्राणी की अहिंसा 54. चोक्ष-शुद्ध 55. पवित्र 56. सुचि-भाव की अपेक्षा शुद्ध 57. पूता-विशुद्ध 58. विमला-निर्मलता का कारण 59. प्रभासा-प्रकाशमय 60. निर्मलतरा-अत्यन्त निर्मल। 412 / अँधेरे में उजाला

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