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हृदय परिवर्तन एक विमर्श
अहिंसा की प्रतिष्ठा का आधार बिन्दु है चेतना का रूपांतरण । चेतना रूपांतरण के अभाव में 'अहिंसा' शब्द का सहस्र जप मात्र वाग्विलास है । अहिंसा की आस्था से कार्य करने वालों के समक्ष बहुत बड़ा प्रश्न है- अहिंसा ने क्या किया ? मानव मन की शांति अहिंसा बहाल करा सकती है? विश्व शांति का सपना अहिंसा में देखा जा सकता है ? इत्यादि प्रश्नों के आलोक में मनीषियों ने नाना समाधान खोजे। गांधी ने अहिंसा के आलोक में हृदय परिवर्तन को महत्त्व दिया। उनका मानना था कि जब तक सामने वाले का हृदय हमारी अहिंसा की आंच से पिघल न जाये तब तक स्वयं को अहिंसा की अग्नि में तपाते रहें । उनका अपना एक तरीका था उसके अनुरूप उन्होंने उपवास के अनेक अल्पकालिक एवं दीर्घकालिक प्रयोग किये, सफलता भी मिली। महाप्रज्ञ ने हृदय परिवर्तन की न केवल मीमांसा की अपितु प्रयोगात्मक स्तर पर प्रेक्षाध्यान की प्रविधि प्रस्तुत की। उसका विस्तृत विमर्श उपादेय है । व्यक्तित्व निर्माण एवं अहिंसक चेतना के जागरण में प्रेक्षाध्यान के विभिन्न प्रयोग कितने सामयिक और सार्थक प्रमाणित होते हैं, यह ज्ञातव्य है । हृदय परिवर्तन को प्रेक्षा के आलोक में समग्ररूपेण समझा जा सकता है ।
परिवर्तन का स्वरूप
हृदय परिवर्तन विशुद्धि की मौलिक प्रक्रिया है। गांधी ने अहिंसक व्यक्तित्व निर्माण और समस्या समाधान में हृदय परिवर्तन की अहं भूमिका स्वीकार की । यह साधारण तथ्य है पर, इस विचार में मौलिकता का समावेश है। उन्होंने सामाजिक अव्यवस्थाओं के निराकरण में हृदय परिवर्तन को स्वीकार किया । गांधी ने कहा- आज समाज में जो असमानताएँ वर्तमान हैं, वे विशेषरूप से जनता के अज्ञान के कारण हैं। जनता जैसे-जैसे अपनी सहज शक्तियों का अनुभव करती जायेगी वैसे-वैसे समस्त असमानाताएँ नष्ट होती जायेगी। यदि यह क्रांति अहिंसा द्वारा हुई, तो स्थिति जैसी आज है, उसके विपरीत ही होगी ।.... आज लोग जिस नई व्यवस्था की आशा लगाये हुए हैं, वह तो अहिंसा द्वारा अर्थात् हृदयपरिवर्तन द्वारा ही उत्पन्न हो सकेगी। मेरी अपील और कार्य-प्रणाली शुद्ध अहिंसा की है । " स्पष्ट परिलक्षित है कि गांधी न केवल व्यक्ति परिवर्तन हेतु अपितु सामाजिक अव्यवस्थाओं का समाधान भी अहिंसा में खोजते थे। उनके लिए अहिंसा और हृदय परिवर्तन एक ही सिक्के के दो पहलू थे I वे अहिंसा से भिन्न हृदय परिवर्तन को नहीं देखते थे। महाप्रज्ञ के कथन में इसकी समानता देखी जाती है। वे कहते- 'अहिंसा का अर्थ है - हृदय परिवर्तन । व्यक्ति स्वातन्त्र्य का अर्थ है हृदय परिवर्तन ।
326 / अँधेरे में उजाला