Book Title: Andhere Me Ujala
Author(s): Saralyashashreeji
Publisher: Adarsh Sahitya Sangh Prakashan

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Page 400
________________ निर्वाण का एक अर्थ है-अव्याबाध सुख। हमारा ज्ञान, आनंद, शक्ति और सुख अव्याबाध बन जाए। निर्वाण का दूसरा अर्थ है सिद्धि। निर्वाण का अर्थ है सारी सिद्धियों का प्राप्त होना। व्यक्ति को लोकाग्र में ऐसा स्थान मिलता है, जहां प्रदूषण नहीं है, पर्यावरण की समस्या नहीं है, कोई उपद्रव नहीं है, अकल्याण नहीं है। निर्वाण प्राप्त व्यक्ति उस स्थान में पहुँचता है, जहाँ न अकाल है, न सर्दी है, न गर्मी है। वह शरीर और मन से रहित होता है इसलिए उसके शारीरिक और मानसिक कष्ट भी नहीं होता। सदा क्षेम, शिव और कल्याण से ओत-प्रोत है निर्वाण। यह स्पष्ट है कि मोक्ष अवस्था ऐसी अवस्था है जहाँ सभी दुःखों का अंत हो जाता है। प्राकृतिक विपदाओं का प्रभाव अकिंचित्कर बन जाता है। गांधी ने जो मोक्ष की परिकल्पना की उसको अधिक स्पष्ट रूप से महाप्रज्ञ ने प्रस्तुत कर उसके स्वरूप को प्रकट किया। मोक्ष की अवधारणा को निर्वाण, सिद्धि के रूप में महाप्रज्ञ का विश्लेषण तात्त्विक है। कतिपय अभेद मूलक बिन्दुओं का विमर्श महात्मा गांधी एवं आचार्य महाप्रज्ञ की समान विचारधारा का प्रतिबिम्ब मात्र है। अहिंसानिष्ठ चेतना से निकले स्फुलिंग को पहचानना मुश्किल है। फिर भी एक विनम्र प्रयत्न किया गया मनीषियों के चिंतन की समानता के अन्वेषण का। अभेद का अर्थ चिंतन के एकात्मक आशय से लिया गया है। व्याख्या-विश्लेषण सापेक्ष होने के बावजूद तत्त्व की । में अद्भुत समानता गोचर होती है। इस आधार पर अभेद के अन्तर्गत किया गया कुछेक मौलिक तथ्यों का संक्षिप्त विमर्श मनीषियों के उदात्त विचारों की झलक मात्र है। 398 / अँधेरे में उजाला

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