Book Title: Andhere Me Ujala
Author(s): Saralyashashreeji
Publisher: Adarsh Sahitya Sangh Prakashan

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Page 397
________________ मतों के लोगों को भविष्य में भी यहीं रहना है। हिंदुओं को हिंदुस्तान से कहीं जाने की जरूरत ही नहीं हैं। मसलमानों को भी यहाँ से जाने की जरूरत नहीं है। सभी समान रूप से यहां रहकर सुविधाअसविधा, अमीरी-गरीबी झेल रहे सबके हित समान है। शांति से रहेंगे तो अपना और देश का भ विकास होगा, लड़ते-झगड़ते रहेंगे तो और ज्यादा गरीब बन जाएँगे। इस असाम्प्रदायिक संदेश का व्यापक असर हुआ। स्थाई परिणाम की आकांक्षा से अणुव्रत आंदोलन के दो व्रतों का जिक्र किया गया . मैं मानवीय एकता में विश्वास रखूगा। • धार्मिक सहिष्णुता रखूगा। लोकतंत्र में स्वतंत्रता सबसे बड़ा धर्म है वह तभी संभव है जब लोग शांति से रहें। विकास के लिए भी शांति अनिवार्य है शांति के लिए अहिंसा अनिवार्य है। 'सब मनुष्य समान है' यह अहिंसा का एक आधारभूत सिद्धांत है। मनुष्य जाति एक है-इस स्वर की उपेक्षा से मानव समाज का विकास अवरूद्ध हुआ है। जातिवाद और संप्रदायवाद ने सहअस्तित्व को बहुत हानि पहुँचाई।....जातिवाद ने उच्च माने जाने वाले लोगों में अहंकार को बढ़ावा दिया और निम्न माने जाने वाले लोगों में हीन भावना को जन्म दिया। जहां अहंकार और हीनभावना होती है, वहाँ सह-अस्तित्व नहीं हो सकता। जहाँ सह-अस्तित्व नहीं होता, वहाँ अहिंसा नहीं हो सकती।17 कथन में साम्प्रदायिक सद्भावना के विकास का स्पष्ट इंगित है। मुस्लिम भाइयों और ईसाइयों के मन में महाप्रज्ञ ने विश्वास पैदा किया। इसका प्रतीक है उनके द्वारा निकले ये शब्द-'आप ऐसे पहले व्यक्ति हैं, जो मानव और मानवता की बात करते हैं। प्रेम और भाईचारे की बात करते है। इसी का परिणाम था मुहम्मद साहब के जन्मदिन के अवसर पर मुसलमान समाज की ओर से महाप्रज्ञ के पास निवेदन आया कि पैगम्बर हजरत मुहम्मद साहब के जन्म दिन शबे-बरात के दिन हमें आपका संदेश चाहिए। संदेश प्रेषित किया गया जिसे लाखों मुसलमानों के बीच में पढ़ा गया। लोगों को आश्चर्य हुआ कि मुसलमानों के जलसे में किसी अन्य धर्मगुरू के संदेश का वाचन किया गया हो।18 पर यह सच्चाई है जो महाप्रज्ञ के विराट् अहिंसा प्रेम का सबूत है। राष्ट्रीय एकता-अखंडता के संबंध में महाप्रज्ञ का चिंतन था-हिन्दुस्तान अनेक जातियों और सम्प्रदायों का संगम है। एकता को हमेशा अनेकता की समस्या का सामना करना पड़ता हैं। राष्ट्र एक है, जातियां और सम्प्रदाय अनेक। अनेक में होने वाला टकराव एक के अस्तित्व को खतरे में डाल देता है। हिन्दुस्तान के प्रबुद्ध वर्ग के लिए यह जरूरी हो गया है कि राष्ट्र की एकता को सुदृढ़ आधार देने के लिए वह कुछ प्राचीन मूल्यों के स्थान पर नए मूल्यों की स्थापना करे। कर्मणा जाति और स्वीकृत सम्प्रदाय-यह अवश्य ही नया मूल्य है।19 इसकी प्रतिष्ठा हेतु उन्होंने जन-जन की चेतना को आंदोलित करने का प्रयत्न किया। राष्ट्रीय एकता मूलक प्रयत्नों के लिए इन्दिरा गांधी राष्ट्रीय एकता पुरस्कार आचार्य महाप्रज्ञ को प्रदान किया गया। आचार्य महाप्रज्ञ ने साम्प्रदायिक सौहार्द हेतु व्यापक प्रयत्न किये हैं। जिसके महत्त्वपूर्ण संदर्भ-ख्वाजा दरगाह अजमेर, गोधराकांड प्रभावित गुजरात प्रांत, मुम्बई-भिवंडी आदि मुस्लिम बहुल क्षेत्रों के संभ्रात लोगों के बीच सौहार्द, भाईचारे का सन्देश पहुँचाना है। महाप्रज्ञ के साम्प्रदायिक सद्भावना मूलक अभेद तुला : एक विमर्श / 395

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