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आम आदमी अहिंसा का अनुसरण करे, उसके लिए तीन संकल्पों को प्रस्तुत किया है। 1. मैं अनावश्यक हिंसा नहीं करूँगा। 2. मैं निरपराध की हत्या नहीं करूँगा।
3. मैं उपभोग-सामग्री का संयम करूँगा। इन सूत्रात्मक तथ्यों को विभिन्न संदर्भो में सुगम शैली में प्रस्तुति देकर महाप्रज्ञ ने व्यक्तिव्यक्ति के हृदय परिवर्तन की संभावनाओं को उजागर किया है। महाप्रज्ञ का यह मानना था कि
अहिंसा की शक्ति को समझने और समझाने की यात्रा है। इसमें हमने अहिंसा की शक्ति
भव किया है। अहमदाबाद, मुंबई और सूरत-सभी जगह सौहार्द और भाईचारे का वातावरण बना है। महाप्रज्ञ का यह निजी अनुभव रहा है-'हम हजारों-हजारों लोगों से मिले, हिन्दुओं और मुसलमान दोनों के बीच रहे हैं और हमने पाया कि आम आदमी सौहार्द और शांति से रहना चाहता है।' संकल्प चेतना शांति की चाह को समुचित राह दिखाने की आकांक्षा से अहिंसा यात्रा के जरिये मानव मात्र को कराये जाने वाले संकल्प थे
. मैं मानवीय एकता में विश्वास करूँगा। . मैं जाति, संप्रदाय के आधार पर लड़ाई-झगड़ा नहीं करूँगा।
मैं यथा संभव ईमानदारी का पालन करूँगा। • मैं नशा मुक्त रहने का प्रयास करूँगा। इन संकल्पों में मानव मन की शांति और समस्याओं के समाधान का राज छिपा है।
अहिंसा यात्रा के रचनात्मक कार्यों को देखकर देश के अनेक गणमान्य व्यक्तियों ने इस उपक्रम की प्रशंसा की, इससे जुड़े। इब्राहीम कुरेशी के शब्दों में- 'अहिंसा यात्रा के द्वारा जो काम हो रहा है, उसने देश में एक नई आशा का संचार किया है। प्रेम, विश्वास, मैत्री और भाईचारे के वातावरण का निर्माण किया है।........अहिंसा यात्रा ने देश में मोहब्बत और शांति का जो संदेश दिया है, उससे नफरत और घृणा की आग शांत हुई है।'' प्रबुद्ध वर्ग ने इस यात्रा को जीवन बदलाव में महत्त्वपूर्ण बतलाया।
अहिंसा यात्रा की तहे दिल से लोगों ने अनुशंसा की। पाकिस्तान के राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ ने अहिंसा यात्रा को निमंत्रण दिया-'अहिंसा यात्रा की भारत ही नहीं, पाकिस्तान को भी जरूरत है। नई दिल्ली के बाद अहिंसा यात्रा को लेकर पाकिस्तान आए, इससे शांति एवं सद्भावना का वातावारण निर्मित होगा। प्रेम, भाईचारे व शांति, सद्भावना से ही मानव जाति का कल्याण संभव है।' इससे अहिंसा यात्रा की लोकप्रियता का अंदाजा लगाया जा सकता है। इस अभियान को आंदोलन के रूप में लोगों ने देखा। मिर्जा नियाग बेग के अभिमत में-अहिंसा यात्रा किसी व्यक्ति की यात्रा नहीं है यह विचार की यात्रा है। आचार्य महाप्रज्ञ ने एक स्वस्थ एवं सुखी अहिंसक समाज की संकल्पना दी है। यह यात्रा नये दर्शन, नई संस्कृति, नये आयाम एवं उपक्रम की स्थापना का अहिंसक शांतिमय आंदोलन का उद्घोष है।2 सैंकड़ों लोगों ने अहिंसा यात्रा को अपने शब्दों में प्रस्तुति दी। जिसमें भारत के प्रथम नागरिक डॉ. ए. पी. जे. अब्दुल कलाम से लेकर टैक्सी ड्राइवर सलीम (अहमदाबाद) जैसे लोग शामिल है।
भेद दृष्टि के आधारभूत मानक / 367