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'स्वस्थ परिवार स्वस्थ समाज' पर प्रकाश डाला। ग्रामोद्धार, ग्राम संस्कृति के निर्माण तथा संवर्धन की योजनाओं के बाबत अधिकृत राजनैतिक व्यक्तियों के साथ संपर्क साधा। आर्थिक दृष्टि से आत्मनिर्भरता हेतु प्रशिक्षण के अन्तर्गत सिलाई, बुनाई, कड़ाई, खाद्य निर्माण की कला, वस्तु निर्माण कौशल, कम्प्यूटर शिक्षण आदि गतिविधियों को जोड़ा गया है। संक्षेप में मानव जीवन की मूल्यार्हता हेतु संपादित आचार्य महाप्रज्ञ के मौलिक उपक्रम अहिंसा प्रशिक्षण की सकारात्मक भूमिका के सबूत है।
अहिंसा प्रशिक्षण की प्रविधि प्राचीन ग्रन्थ बृहत्कल्प भाष्य में निर्दिष्ट प्रशिक्षण विधि पर निर्मित की गई है। उसकी चतुः सूत्री प्रक्रिया बतलाई-पहला सूत्र है मूल पाठ का उच्चारण। मूलपाठ है-मैं किसी निरपराध प्राणी का संकल्पपूर्वक वध नहीं करूँगा। आत्म हत्या नहीं करूँगा। परहत्या नहीं करूँगा। भ्रूणहत्या नहीं करूँगा। दूसरा सूत्र है-अर्थ बोध । तीसरा सूत्र है अधिगम। यह पूछो कि तुम्हारी समझ में आया या नहीं आया। अधिगत किया या नहीं किया? चौथा सूत्र है-श्रद्धा। इस विषय में जो पाठ पढाया, जो अर्थ बताया और जो तमने समझा, उसमें तम्हारी श्रद्धा पैदा हई या नहीं हई? प्रशिक्षण का यह महत्त्वपूर्ण सूत्र आचार्य संघदास और आचार्य मलयगिरि ने दिया। इस विधि के साथ महाप्रज्ञ ने आधुनिक-वैज्ञानिक विधा का समावेश कर अहिंसा-प्रशिक्षण की प्रविधि को अधिक शक्तिशाली बनाया है। इस प्रविधि में अनेक प्रयोगों का समावेश गहन मंथन के साथ किया गया है। अहिंसा के प्रशिक्षण की विशुद्ध प्रक्रिया अहिंसा विकास में योगभूत बनेगी और उसके परिणाम मानव जाति के लिए आनंददायी होंगे। अपेक्षा है इसके व्यापक प्रयोग की। प्रयोग की सफलता के मानक हैं-भाव परिवर्तन, जीवन शैली में परिवर्तन, दृष्टिकोण में परिवर्तन और आजीविका का प्रशिक्षण। इनके सकारात्मक परिणाम मानव जाति के लिए वरदान सिद्ध होंगे।
___ मनीषी द्वय ने अहिंसा प्रशिक्षण को अहिंसक चेतना के जागरण में महत्त्वपूर्ण बतलाया। वैशिष्ट्य इस बात का है कि गांधी ने अहिंसा प्रशिक्षण के तौर पर शांति सेना के संगठन को महत्त्व दिया वहीं महाप्रज्ञ ने अहिंसा प्रशिक्षण की समग्र प्रक्रिया को सिद्धांत से अधिक प्रायोगिक स्वरूप प्रदान किया है। अहिंसक चेतना के जागरण में निर्दिष्ट प्रक्रिया महत्त्वपूर्ण सिद्ध हुई है।
अहिंसा की तकनीक : अहिंसा प्रशिक्षण / 325