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पनास बस्ती में अणुव्रत समिति सूरत तथा निर्मल जनरल हॉस्पिटल की ओर से श्रमजीवियों के लिए मेडीकल शिविर आयोजित किया गया। दक्ष डॉक्टरों की टीम ने न केवल सैंकड़ों लोगों के शरीर का परीक्षण ही किया अपितु दवाईयाँ भी प्रदान की। आँखों की बीमारी वाले लोगों को चश्में प्रदान किए तथा उनके ऑपरेशन की भी व्यवस्था की गई।
बस्ती के लोगों को स्वावलंबी बनाने के लिए रजनीकांत भाई द्वारा बस्ती में स्वरोजगार के प्रशिक्षण की व्यवस्था की गई। अणुव्रत विश्व भारती की ओर से चार सिलाई मशीनें देने की घोषणा की गई। सैकड़ों भाई-बहन विभिन्न प्रकार के स्वरोजगारों का प्रशिक्षण ले रहें हैं। आंशिक अहिंसा प्रशिक्षण की व्यवस्था, सफाई प्रशिक्षण के साथ सुसंस्कार भरने का पुनीत कार्य भी जारी है।
मानव सेवा समिति के अध्यक्ष जयलाल जी ने सूरत के 25 झोंपड़पट्टी विस्तारों के 64000 परिवारों में स्वच्छता अभियान पुरस्कार समारोह का आयोजन तेरापंथ सभा भवन में किया। इस स्वच्छता अभियान से 3 लाख लोग लाभान्वित हुए। आचार्य महाप्रज्ञ ने समारोह में अंतर की सफाई पर भी बल दिया।239 सचमुच जरूरत मंद लोगों ने अहिंसा यात्रा प्रणेता को जीवन का उद्धार करने वाला भगवान ही माना। उनकी प्रेरणा से ही यह चमत्कारनुमा कार्य घटित हुआ। हमने ईसा को नहीं देखा पर जरूरत मंद के लिए आचार्य महाप्रज्ञ ईसा से कम नहीं थे। अपनी सीमा में रहकर जितना संभव था उन्होंने संपादित किया। आचार्य महाप्रज्ञ की गतिशील अहिंसा का ही प्रभाव था कि उनकी दृष्टि में राजनेता और दीनहीन, अमीर और गरीब सभी के लिए उचित स्थान था। अपितु यह भी अनुभव किया गया कि वे असहाय के प्रति बहुत संवेदनशील थे। उनकी संवेदनशीलता का ही सबूत है स्वयं राष्ट्रपति महोदय उनके पास राष्ट्रव्यापी समस्याओं का समाधान पाने उपस्थित हए।
_ आचार्य महाप्रज्ञ की पुष्कल चेतना से अभिभूत होकर राष्ट्रपति डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम महोदय अपना 73 वाँ जन्मदिन मनाने के लिए उनकी सन्निधि में सूरत पहुँचे। देश की धार्मिक सद्भावना को मजबूती देने के लिए 15 अक्टूबर 2003 को सूरत में आचार्य महाप्रज्ञ के नेतृत्व में एक शीर्ष धर्म गरूओं का सम्मेलन मानसिक एकता (यनिटी ऑफ माइंड) आयोजित हआ। तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम दो दिवसीय सम्मेलन के अध्यक्ष थे। इस सम्मेलन में हुई चर्चा को सूरत आध्यात्मिक घोषणा (एसएसडी) के नाम से जाना जाता है। जिसके तहत पाँच सूत्रीय कार्य योजना बनाई गई। पँचसूत्री कार्य योजना का संक्षिप्त रूप निम्न रूपों में जाना जा सकता है. शांति प्रार्थना एवं विभिन्न धर्मों से संबंधित मौलिक सत्यों के मूलभूत संदेशों को प्रसारित
करने के लिए प्रति मास भारत के सभी हिस्सों में नाना धार्मिक मतों के सम्मेलन आयोजित करेंगे। शिक्षा, स्वास्थ्य, पेयजल तथा व्यवसाय और रोजगार के अवसर उपलब्ध कराने के लिए
भी अनेक कार्यक्रम धार्मिक परियोजना के रूप में प्रारंभ करेंगे, जिससे गरीबों को सहयोग मिले। धार्मिक समुदायों द्वारा संचालित शिक्षण संस्थाओं में, अन्य संप्रदायों के बच्चों के लिए कुछ प्रतिशत अंश रखा जाए तथा उन्हें धार्मिक सहिष्णता, सदाचार के साथ मुल्यपरक शिक्षा प्रदान की जाये। 'अंतः साम्प्रदायिक परिसंवाद' के अन्तर्गत विभिन्न धर्मगुरूओं, आध्यात्मिक आचार्यों तथा विद्वानों के बीच संपर्क बनें एवं समाज की ज्वलंत समस्याओं का समाधान खोजा जाए।
आचार्य महाप्रज्ञ का अहिंसा में योगदान । 115