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85. आचार्य महाप्रज्ञ, सार्थकता मनुष्य होने की, 5.51 86. लोकतंत्र : नया व्यक्ति नया समाज, 68 87. श्री नगराजजी, अणु से पूर्ण की ओर, 151 88. लोकतंत्र : नया व्यक्ति नया समाज, 124 89. मुनि नथमलजी, जैन दर्शन के मूल सूत्र, 150-51 90. समाज और हम, 10 91. अहिंसा भाग-3,243 92. श्रीमन्नारायण, ऋषि विनोबा, 153 93. साप्ताहिक विज्ञप्ति, 30 जून से 6 जुलाई, 2002.8 94. आचार्य महाप्रज्ञ, महाप्रज्ञ ने कहा-16.108 95. अणुव्रत की दार्शनिक पृष्ठभूमि, 170 96. राजस्थान पत्रिका, 14-3-2000.5 97. बापू कथा, 144-54 98. मेरे सपनों का भारत, 78 99. सिद्धराज दड्डा, वैकल्पिक समाज रचना, 32-33 100. जैनेन्द्र कुमार, अकाल पुरुष गांधी. 229 101. मेरे सपनों का भारत, 76 102. महावीर का अर्थशास्त्र, 35 103. अहिंसा के अछूते पहलु, 193-94 104. अणुव्रत की दार्शनिक पृष्ठभूमि, 180 कर्मवाद, 293.296 105. वैकल्पिक समाज रचना, 15 106. गांधीजी, अहिंसा-4.374 107. भारतीय राजनीतिक विचारक, 438-39 108. बापू कथा, 191-94 109. आचार्य महाप्रज्ञ, अस्तित्व और अहिंसा, 59 110. महाप्रज्ञ ने कहा-4, 180,116.17 111. आचार्य महाप्रज्ञ, जैन दर्शन और अनेकान्त, 157-160 112. महाप्रज्ञ ने कहा-26, 64 113. युवाचार्य महाप्रज्ञ, महावीर का पुनर्जन्म, 293 114. अस्तित्व और अहिंसा, 60-63 115. महाप्रज्ञ ने कहा-4,17.18 116. सार्थकता मनुष्य होने की, 11-12 117. महाप्रज्ञ ने कहा-16,235 118. मेरी दृष्टि : मेरी सृष्टि, 124-125, 136 119. लोकतन्त्र : नया व्यक्ति नया समाज, 87-93 120. विज्ञप्ति, 22-28 मार्च, 2009,7 121. हरिजन सेवक, 20.7.47 122. अहिंसा के अछूते पहलु, 4 123. जीवन विज्ञान : स्वस्थ समाज-रचना का संकल्प, 106-11 124. मुनि नथमल, जैन दर्शन के मूल सूत्र, 149-50 125. विज्ञप्ति, 16-22.6.2002.9 126. युगीन समस्या और अहिंसा, 46
266 / अँधेरे में उजाला