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2. अभय का प्रशिक्षण । शस्त्र-निर्माण और शस्त्र का व्यवसाय भय का अनुदय
न करने की संकल्प शक्ति का प्रशिक्षण ।
वैर-विरोध का अनुदय
3. मैत्री का प्रशिक्षण । प्रतिशोधात्मक मनोवृत्ति से बचने क प्रशिक्षण ।
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4. क्षमा का प्रशिक्षण ।
5. विनम्रता का प्रशिक्षण, अहिंसक प्रतिरोध का प्रशिक्षण, अन्याय के प्रति असहयोग का प्रशिक्षण ।
6. करुणा का प्रशिक्षण ।
7. साम्प्रदायिक सद्भाव का प्रशिक्षण, भिन्न विचारों को सहने का प्रशिक्षण ।
8. सापेक्ष चिंतन का प्रशिक्षण ।
निरपेक्ष चिंतन का अभाव
9. सापेक्ष व्यवहार का प्रशिक्षण ।
निरपेक्ष व्यवहार का अभाव निषेधात्मक भाव का अभाव
10. विधायक भाव का प्रशिक्षण ।
समस्या और समाधान के आलोक में हृदय परिवर्तन बनाम मस्तिष्क प्रशिक्षण की यह मौलिक प्रक्रिया और उसके परिणाम अहिंसा प्रशिक्षण के महत्त्व को उजागर करते हैं ।
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क्रोध का अनुदय अहंकार का अनुदय
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क्रूरता का अनुदय
असहिष्णुता का अनुदय
जीवन की आदिभूत इकाई बचपन में अहिंसा के संस्कार कैसे विकसित हो ? इस ओर ध्यान केंद्रित करते हुए आचार्य महाप्रज्ञ ने बच्चों के लिए अहिंसा प्रशिक्षण के सूत्र बतलाये हैं- 1. स्वस्थ व्यक्ति 2. स्वस्थ समाज । निष्पत्ति है - शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व, ईमानदारी, नैतिकता आदि का व्यवहार ।
अहिंसा प्रशिक्षण की समग्र व्यूह रचना में अनेक संदर्भ सूत्रों की संयोजना स्वीकृत है । प्रत्यक्ष अथवा परोक्ष रूप से अहिंसा विकास में सहभागिता है । उसका संक्षिप्त विमर्श सामयिक होगा । अहिंसा के प्रशिक्षण का एक सूत्र है - ' अनावश्यक हिंसा के वर्जन की चेतना को जगाना । उदाहरण के तौर
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पर पानी का अपव्यय, खनिज पदार्थों का अतिरिक्त दोहन, निरपराध प्राणियों और मनुष्यों की हत्या, यह अनावश्यक हिंसा है।" इसका परिष्कार अहिंसा विकास के लिए जरूरी है ।
जीवन-व्यवहार में घटित होने वाली हिंसा-अहिंसा के प्रति जागरूकता पैदा करना अहिंसा-प्रशिक्षण का महत्त्वपूर्ण कार्य है। इस ओर ध्यान केंद्रित करते हुए महाप्रज्ञ ने बताया- जब से अहिंसा के प्रशिक्षण का स्वर उभरा, अहिंसा प्रशिक्षण पर दो कान्फ्रेंसेस हुईं दुनिया का ध्यान इस ओर आकृष्ट हुआ है । अनेक पत्र आए, यह जिज्ञासा मुखर हुई - अहिंसा - प्रशिक्षण की विधि क्या है? सामान्यतः अहिंसा प्रशिक्षण का मतलब है-कहीं लड़ाई हो रही हो तो शान्ति सैनिक वहाँ जाएं, उन्हें समझा-बुझाकर शांत करें । यह एक कोण हो सकता है । इसे हम अहिंसा प्रशिक्षण की परिपूर्ण विधि नहीं मान सकते। हिंसा और अहिंसा को हमने युद्ध और शांति के क्षेत्र तक ही सीमित कर दिया । वस्तुतः यह जीवन का व्यवहार है। हर व्यक्ति के जीवन में बार-बार हिंसा और अहिंसा के क्षण आते ही रहते हैं । इससे विरत होने के लिए हम मूल से चलें । आहार का प्रशिक्षण, स्वास्थ्य का प्रशिक्षण और फिर संवेगों के संतुलन का प्रशिक्षण, यहाँ से हमारी अहिंसा प्रशिक्षण की यात्रा शुरू हो । जीवन से जुड़े अभिन्न तथ्यों का यह संग्रहण अहिंसा - प्रशिक्षण की दृष्टि से महत्त्वपूर्ण है ।
अहिंसा प्रशिक्षण का एक घटक है- आहार का प्रशिक्षण । भोजन और हिंसा में गहरा संबंध है । प्रश्न है भोजन सात्त्विक है या तामसिक ? इसका परिणाम कैसा होता है ? इस संबंध में महाप्रज्ञ
अहिंसा की तकनीक : अहिंसा प्रशिक्षण / 317