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हिंसा को अधिक पनपने का मौका मिलेगा। यद्यपि अहिंसा का प्रशिक्षण भाव-जगत् का प्रशिक्षण है पर इसका संबंध समाज-व्यवस्था, अर्थ-व्यवस्था और राज्य-व्यवस्था के साथ है पर सबसे घनिष्ट संबंध है भाव-जगत् के साथ। इस मंथन के आधार पर अहिंसा-प्रशिक्षण का स्वरूप उभयात्मक रखा।
वस्तु जगत् से सबंध रखने वाली हिंसा को कम करने और अहिंसा को प्रतिष्ठित करने के लिए प्रशिक्षण के संदर्भ और समाधायक सूत्र आचार्य महाप्रज्ञ द्वारा खोजे गये। वे निम्न हैंहिंसा का संदर्भ
अहिंसा प्रशिक्षण का सूत्र 1. असंतुलित समाज व्यवस्था अहिंसक जीवन का प्रशिक्षण 2. असंतुलित राजनैतिक व्यवस्था लोकतन्त्रीय जीवन-शैली का प्रशिक्षण 3. शस्त्रीकरण की समस्या
मानवीय अस्तित्व की सुरक्षा का प्रशिक्षण 4. जातीय और रंगभेद की समस्या मानवीय एकता का प्रशिक्षण 5. सांप्रदायिक समस्या
धर्म या सत्य की मौलिक एकता का प्रशिक्षण 6. मानवीय संबंधों का असंतुलन समता और आत्मतुला के सिद्धांत का प्रशिक्षण 7. आर्थिक स्पर्धा और अभाव व्यक्तिगत स्वामित्व की सीमा तथा व्यक्तिगत
उपभोग की सीमा का प्रशिक्षण अंतर्जगत् से जुड़ी हिंसा के नियंत्रण हेतु प्रशिक्षण-प्रयोग 8. मानसिक तनाव
कायोत्सर्ग और श्वास प्रेक्षा का प्रशिक्षण 9. वैचारिक मतभेद
अनेकांत का प्रशिक्षण 10. भावात्मक असंतुलन
चैतन्यकेन्द्र-प्रेक्षा और लेश्याध्यान का प्रशिक्षण 11. व्यक्तिगत रासायनिक असंतुलन प्रेक्षाध्यान के पांच चरणों का प्रशिक्षण।" वस्तु-जगत् और भाव-जगत् से जुड़े अहिंसा प्रशिक्षण के इन सूत्रों में यथार्थ का समाकलन है।
अहिंसा के प्रशिक्षण का आधारभूत तत्त्व है-हृदय परिवर्तन अथवा मस्तिष्कीय प्रशिक्षण । परिवर्तन की पृष्ठभूमि में हिंसा के कारणों का उल्लेख एवं उसके समाधायक सूत्रों का मनन संदर्भित होगाहिंसा के हेतु
परिणाम 1. लोभ
अधिकार की मनोवृत्ति। 2. भय
शस्त्र-निर्माण और शस्त्र का प्रयोग। 3. वैर-विरोध
प्रतिशोध की मनोवृत्ति। 4. क्रोध
कलहपूर्ण सामुदायिक जीवन। 5. अहंकार
घृणा, जातिभेद के कारण छुआछूत, रंगभेद जनित दोष। 6. क्रूरता
शोषण, हत्या। 7. असहिष्णुता
साम्प्रदायिक झगड़ा। 8. निरपेक्ष व्यवहार
सामुदायिक जीवन में पारस्परिक असहयोग की मनोवृत्ति। ये संवेग व्यक्ति को हिंसक बनाते हैं। हृदय परिवर्तन का अर्थ है-इन संवेगों का परिष्कार करना, इनके स्थान पर नये संस्कार बीजों का वपन करना। नये संस्कार बीजों का वपन मस्तिष्कीय प्रशिक्षण का मुख्य अंग है जिसकी निष्पत्ति का आकलन निम्न हैप्रशिक्षण प्रक्रिया
निष्पत्ति 1. शरीर और पदार्थ के प्रति अमूर्छा भाव का प्रशिक्षण . लोभ का अनुदय
316 / अँधेरे में उजाला