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में । त्रिदिवसीय 'राष्ट्रीय अहिंसा समवाय सम्मेलन' का आयोजन 1-3 मार्च 2003 मुंबई - कांदिवली में हुआ। राष्ट्र के प्रमुख लोगों ने इसमें उपस्थिति दर्ज की।
सम्मेलन ने बढ़ती हुई हिंसा और आतंकवाद तथा मंडराते हुए विश्वयुद्ध के इस दौर में अहिंसा समवाय की अनिवार्यता, सामाजिक, धार्मिक, साहित्यक स्तर पर अहिंसा के लिए रचनात्मक कार्यक्रम, अहिंसा जन जागरण में स्वतंत्रता सेनानियों एवं नागरिकों की भूमिका, मानवाधिकार, जीवदया, पर्यावरण, वन्यजीवन की सुरक्षा में अहिंसा, सेवा संगठनों की अहिंसा आन्दोलन में भूमिका जैसे ज्वलंत विषयों पर गहन विचार-विमर्श किया।
प्रबुद्ध वक्ताओं ने हिंसा के इस दौर में अहिंसा समवाय की अनिवार्यता पर जोर दिया। सम्मेलन सर्वसम्मति से स्वीकार किया कि केवल अहिंसा और सह अस्तित्व के सिद्धांतों पर व्यक्ति, समाज तथा राष्ट्रों की चेतना का रूपांतरण करके विश्व को मानवजनित विध्वंस तथा सर्वनाश से बचाया जा सकता है । विभिन्न धार्मिक एवं स्वयंसेवी संगठनों के प्रतिनिधियों ने अहिंसा समवाय आंदोलन गति देने के लिए सम्मेलन को महत्त्वपूर्ण बताया। 69
सम्मेलन ने इराक से भी आग्रह किया कि वह मन, वचन तथा कर्म से संयुक्त राष्ट्र के साथ सहयोग करे । सम्मेलन के मौलिक विस्तृत विचार-विमर्श को घोषणा पत्र के रूप में संक्षिप्तशैली में निम्न बिंदुओं में जाना जा सकता है
अहिंसात्मक कार्यशैली का व्यापक प्रचार हो परिणामतः गरीबी, शोषण, असमानता और बेरोजगारी पैदा ही न हो ।
भारत ही एक मात्र ऐसा देश है जहां विश्व के सभी धर्म सह-अस्तित्व के आधार पर विकसित हुए है। अहिंसक समाज में ही यह संभव है ।
अहिंसा अनवार्यता के प्रचार-प्रसार के लिए प्रत्येक स्थान पर अहिंसा यात्राओं, चिंतन तथा विचार गोष्ठियों का आयोजन किया जाए ।
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चेतना के रूपान्तरण हेतु अहिंसा प्रशिक्षण जरूरी है।
अहिंसा समवाय आंदोलन के लिए समानांतर (काउंटर) मीडिया की स्थापना की आवश्यकता पर बल के साथ अहिंसा विषयक साहित्य भारत की सभी भाषाओं में प्रकाशित तथा प्रचारित हो ।
प्रदूषण के कारणों को रोका जाये ।
राष्ट्रीय स्तर पर अहिंसा अनुसंधान केन्द्र की स्थापना की जाए।
अहिंसा समवाय को आज एक नए राष्ट्रीय आंदोलन के समान मानता है, अहिंसा के प्रति निष्ठा तथा अटूट विश्वास को दोहराता है।
संयुक्त राष्ट्र संघ तथा विश्व की सभी संस्थाओं, सभी सरकारों, शांति के लिए प्रयासरत सभी गैर सरकारी संगठनों तथा व्यक्तियों से अनुरोध है कि विश्वशांति की आचार संहिता हेतु त्वरित कदम उठायें।"
इस नव सूत्री घोषणा पत्र के संदर्भ में सम्मेलन की महत्वपूर्ण निष्पत्तियों का आकलन किया जा सकता है।
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दिल्ली, धुले, राजसमंद आदि अनेक क्षेत्रों में अहिंसा समवाय के सम्मेलन हुए । अहिंसा समवाय की गतिविधियों को सक्रियता प्रदान करते हुए जैन विश्व भारती विश्वविद्यालय द्वारा मदुरै, दिल्ली,
अहिंसा का संगठनात्मक स्वरूप / 307