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सत्याग्रहियों की स्खलनाओं को देखकर समय-समय पर बापू उन्हें सावधान करते एवं अपूर्णता का बोध करवाते। सत्याग्रही इतना तो जरूर जानते हैं कि उनमें से यदि एक भी शुद्ध होगा, तो उसका यज्ञ फलोत्पत्ति के लिए काफी है। पृथ्वी सत्य के बल पर टिकी हुई है। 'असत्' 'असत्य' के मानी है, 'नहीं', 'सत' 'सत्य' अर्थात् 'है'-जहाँ असत् अर्थात् अस्तित्व ही नहीं उसकी सफलता कैसे हो सकती है? बस इसी में सत्याग्रह का सिद्धांत समाविष्ट है। वे आंदोलन की सफलता सत्याग्रहियों के विशुद्ध आचरण पर आंकते थे। सत्याग्रह और सत्याग्रही में अन्योन्य भाव का निदर्शन है। सत्याग्रह एक अजेय शक्ति है। यह ऐसी शक्ति है जिसे हर कोई अपना सकता है। यह वीरों का अस्त्र है। भौतिक शस्त्र कमजोर व्यक्ति उठाता है। जान को हाथ में लेने वाला वीर ही सत्याग्रह के जरिये क्षमा, बलिदान, सहयोग, मर्यादा का अनुपालन करता है। बल-प्रयोग के सर्वथा विपरीत आत्म-शक्ति एवं सत्यबल के आधार पर बुना गया यह सत्याग्रह आंदोलन अहिंसा की ताकत पर टिका है।
सत्याग्रह वास्तव में अहिंसक आन्दोलन है। डॉ. हरिद्वपर राय के अनुसार सत्याग्रह की प्रक्रिया में चार विचार सन्निहित हैं-पहला संसार में कुछ गलतियां या अव्यवस्थाएँ हैं, दूसरा इन पर विजय प्राप्त करना अनिवार्य है, तीसरा, हिंसा के द्वारा इन पर विजय प्राप्त नहीं किया जा सकता क्योंकि हिंसा बुरी इच्छाओं को गहरी और सबल बनाती है तथा चौथा, गलतियों पर विजय शुभ संकल्प से प्रेरित होकर आत्म-पीड़न के द्वारा किया जा सकता है। इन विचारों से स्पष्ट है कि सत्याग्रह की प्रक्रिया समाज में प्रचलित बुराइयों से संघर्ष करने के लिए आरम्भ होती है। ये बुराइयां आर्थिक, सामाजिक, राजनैतिक, धार्मिक-किसी प्रकार की हो सकती है।" व्यवहार के धरातल पर सत्याग्रह आंदोलन बुराइयों के प्रतिकार का अहिंसक हथियार था। इसका नैश्चयिक स्वरूप अहिंसा और सत्य से ओत-प्रोत था।
सत्याग्रह आंदोलन को 'पैसिव रेजिस्टेन्स' कहना भूल होगी। दोनों का स्वरूप भिन्न हैं। दक्षिण अफ्रीका में भारतीयों का अहिंसात्मक आंदोलन ‘पैसिव रेजिस्टेन्स' नाम से पुकारा जाता था जिसे निर्बलों का हथियार कहकर मखौल उडायी जाती पर गांधी ने प्रतिकार करते हुए कहा-'हम भले ही निर्बल और पीड़ित हों पर सत्याग्रह निर्बल का शस्त्र नहीं है। यह तो बलवान से बलवान और बहादर-से-बहादर का हथियार है।' उन्होंने बलपूर्वक कहा-हिन्दस्तानियों का आंदोलन 'पैसिव रेजिस्टेन्स' से एक जुदी चीज है, दक्षिण अफ्रीका में 'सत्याग्रह' शब्द का प्रयोग किया गया था।
पैसिव रेजिस्टेन्स निषेधात्मक चीज है, इसमें प्रेम के सक्रिय तत्त्व का जरा भी अंश नहीं होता जबकि सत्याग्रह प्रेम के सक्रिय तत्त्व पर चलता है। यह तत्त्व कहता है कि 'जो तुम्हारे साथ बुरा करे उन पर तुम प्रेम करो। मन्तव्य से स्पष्ट है कि सत्याग्रह पैसिव रेजिस्टेन्स से बहुत ऊँची और भिन्न प्रक्रिया है।
अहिंसा और सत्य की मिशाल कायम करते हुए सत्याग्रह के विभिन्न प्रयोग किये गये, यथा• नमक सत्याग्रह • खेड़ा सत्याग्रह • वायकोम का सत्याग्रह • युद्ध विरोधी सत्याग्रह · प्रतिनिधि सत्याग्रह • व्यक्तिगत सत्याग्रह • बारडोली का सत्याग्रह ।
विभिन्न रूपों में प्रयुक्त सत्याग्रह तात्कालीन परिस्थितियों में एक राजनैतिक अस्त्र था जिसके जरिये सामाजिक, आर्थिक संकटों से उबरने का सार्थक प्रयत्न किया गया।
गांधी के सत्याग्रह आन्दोलन की सफलता का राज है स्वयं का प्रामाणिक सत्याग्रही होना। इस विचार की पुष्टि में दक्षिण अफ्रीका का एक उदाहरण प्रासंगिक होगा। सन् 1908 में गांधी को
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