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युगों तक मानव मन के अंधियारे को मिटाता रहेगा।
महाप्रज्ञ की सफलता का राज था-स्वयं के द्वारा निर्धारित आदर्श, यथा-सत्यनिष्ठा, लक्ष्य केन्द्रिता, प्रगाढ़ आस्था, अनिष्ट न करने का संकल्प, अप्रमाद आदि। ये उनके व्यक्तित्व निर्माण के प्रेरणादीप कहे जा सकते हैं। इन्हें अपनाकर कोई भी सफलता का वरण कर सकता है।
प्रेरणा संग्रहण, गुण-ग्राहिता एवं आत्माभिप्रेरणा की प्रवृत्ति महाप्रज्ञ के जीवन की विरल विशेषता थी। विभिन्न स्रोतों-प्रत्यक्ष-परोक्ष, सबल-निर्बल, अतीत-वर्तमान सभी से उन्होंने जितना संभव था ग्रहण किया। ये अभिप्रेरक उनकी अहिंसक सोच को गति से प्रगति पर वर्धमान बनाने में सहभागी बने हैं।
_ विश्व विभूति आचार्य महाप्रज्ञ का जीवन आज अदृश्य होकर भी हमारे लिए प्रेरणा पुँज बना हुआ है। 'दिव्य-ज्योति महाप्रज्ञ' राजस्थानी कवि इकराम की रचना इसका साक्षीभूत उपनय है। आचार्य महाप्रज्ञ जी के जीवन दर्शन को सटीक शब्द प्रस्तुति क्रम में ये पँक्तियाँ भी शुमार है
मानव की सेवा को सच्चा कर्म बनाया जिसने, सत्य-अहिंसा, प्रेम-शांति को धर्म बनाया जिसने, अणुव्रत के आदर्श को अपना गर्व बनाया जिसने, करुणा और दया को, मन का मर्म बनाया जिसने, जिस मुख से हर क्षण उच्चारित एक सत्य होता है।
जो जीवन का अर्थ समझले, महाप्रज्ञ होता है। महात्मा गांधी एवं आचार्य महाप्रज्ञ दोनों के प्रेरणोत्स की संक्षिप्त झलक से यह स्पष्ट होता है कि मनीषियों ने अपने-अपने क्षेत्र में उच्च कोटि की अभिप्रेरणाएँ ग्रहण की। मात्र ग्रहण ही नहीं की उसके आलोक में व्यक्तित्व का वांछित निर्माण भी किया। यद्यपि दोनों मनीषियों के प्रेरणास्रोत संदर्भ प्रायः भिन्न हैं। महात्मा गांधी को राजनीति का क्षेत्र मिला वहीं उन्होंने लीक से हटकर नई लकीरें खींची और महाप्रज्ञ को धर्मनीति के आध्यात्मिक परिवेश में वैज्ञानिक जगत् को भावित करने का अपूर्व अवसर मिला। कर्म क्षेत्रीय स्वतंत्रता के बावजूद संग्राहक भाव दोनों की अन्तःचेतना का वैशिष्ट्य युक्त सादृश्य से सराबोर है। जिज्ञासु इससे वांछित प्रेरणा संजोकर जीवन के नव निर्माण की दिशा को प्रशस्त कर सकता है।
संदर्भ
1. काका कालेलकर-वियोगहरि, गांधी : व्यक्तित्व-विचार और प्रभाव,76 2. एम.के.गांधी, सत्य के प्रयोग अथवा आत्मकथा, 32 3. गांधी : व्यक्तित्व-विचार और प्रभाव, 76 4. सत्य के प्रयोग अथवा आत्मकथा, 47-48 5. गांधी : व्यक्तित्व-विचार और प्रभाव, 100 6. डॉ. एस.एल. वर्मा-डॉ मधु मिश्रा, महात्मा गांधी एवं धर्म निरपेक्षता, 193-194 7. अहिंसा, 2.206 8. सत्य के प्रयोग अथवा आत्मकथा, 27 9. गांधी चित्रावली, 72 10. गांधी : व्यक्तित्व-विचार और प्रभाव, 75-77
182 / अँधेरे में उजाला