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आचार्य महाप्रज्ञ ने पारिवारिक संबंधों की विशुद्धि एवं अहिंसा के विकास हेतु प्रशिक्षण पर बहुत बल दिया है। उन्होंने कहा-मानवीय सम्बन्ध और निश्छल व्यवहार का प्रशिक्षण सामाजिक स्तर पर अहिंसा का प्रशिक्षण है। इसकी पहली प्रयोगभूमि है परिवार । परिवारिक जीवन में शांतिपूर्ण सहअस्तित्व का होना अहिंसा के प्रशिक्षण का महत्त्वपूर्ण घटक है। इसके साथ ही परिवार में शांति का पहला प्रयोग है-धैर्य का विकास और प्रतीक्षा में स्थिरता। इसी आधार पर शांति को विकसित किया जा सकता है। परिवार में शांति नहीं होती है तो अहिंसा के विकास का मार्ग अवरुद्ध एवं जीवन छिन्न भिन्न हो जाता है। परिवार में अहिंसा विकास सूत्र घर-परिवार की शांति का पहला प्रयोग है-मौन। दो में लड़ाई होती है, एक में कभी नहीं। जहाँ भी लड़ाई का प्रसंग हो, कटुता का प्रसंग हो वहाँ मौन का अभ्यास करना चाहिए। यह घर की शांति का सबसे बड़ा उपाय है। एक बोले तो दूसरा मौन हो जाए। यह एक सूत्र घर के वातावरण को शांतिमय बना देगा। शांतिपूर्ण स्थिति अहिंसा के विकास को प्रशस्त बनाती है।
पारिवारिक संदर्भ में 'सुखद संवास' का कन्सेप्ट महत्वपूर्ण है। साथ में रहना, भोजना, अर्जन कार्य आदि करना, यह संवास है। संवास प्रिय होता है या अप्रिय, सुखद होता है अथवा दुःखद पारिवारिक लोगों के लिए चिंतन का प्रश्न है। महाप्रज्ञ ने सुखद संवास के पैरामीटर प्रस्तुत किये-'सुखद संवास की पहली कसौटी है-विनम्रता।
. दूसरी कसौटी है-अप्रिय वचन बोलने से बचना। . तीसरी कसौटी है-सहिष्णुता। . चौथी कसौटी है-उपशांत कलह की उदीरणा न करना।
'बीती ताहि बिसारि दे' लोकोक्ति परिवार में शांति का बहुत बड़ा सेतु है-बीती बातों को भुलाना, उपशांत कलह की उदीरणा न करना।
. पाँचवी कसौटी है-गम खाना-उतेजना के प्रसंग में शांत रहना।9
गृहस्थ जीवन में पग-पग पर विषम परिस्थितियों से सामना करना पड़ता है। इसके लिए प्रतिदिन साधना और प्रशिक्षण का क्रम चलते रहना चाहिए। परिवार की शांति के लिए मन का संयम, वाणी का संयम, और शरीर का संयम-तीनों जरूरी है। परिवार में अहिंसा विकास के टिप्स
स्वार्थ चेतना-मेरेपन के प्रतिपक्ष में-मेरा कुछ भी नहीं है, मात्र संयोग है, भावना की पुष्टि। हम अकेलें हैं, अकेले आए हैं, अकेले जाना है। इस अध्यात्म चेतना का विकास। निश्चय और व्यवहार दृष्टि का संतुलन। संवेदनशीलता, सहानुभूति, संविभाग, मृदुता, विनम्रता का विकास। आज्ञा, विनय, वात्सल्य, कृतज्ञता, विवेक, समझोते का समाचरण। मात्र मंत्र उच्चारण से परिवार में सामंजस्य और सौहार्द संभव नहीं है। उसका कारगर नुस्खा एक ही है अहिंसा प्रशिक्षण, पारिवारिक सौहार्द और शांत सहवास का प्रशिक्षण। प्रशिक्षण लें और गृहस्थी में उसका प्रयोग करें। अनेकांत दृष्टि का प्रयोग : विचार का आग्रह न हो। वचन का विवाद न हो। व्यवहार का असंतुलन न हो।
अहिंसा की प्रयोगशाला-परिवार | 219