________________
को यह मालूम नहीं है कि कताई एक ठीकरी और बांस की खपच्ची से यानी तकली
पर भी की जा सकती है। . लोगों को इसमें अरुचि नहीं है। . इससे अकाल के समय तात्कालिक राहत मिल जाती है; . विदेशी कपड़ा खरीदने से भारत का जो धन बाहर चला जा रहा है, उसे यहीं रोक सकती है; . इससे करोड़ों रुपयों की जो बचत होती है, वह अपने-आप सुपात्र गरीबों में बंट जाती
. इसकी छोटी से छोटी सफलता से भी लोगों को बहुत कुछ तात्कालिक लाभ होता है; . लोगों में सहयोग पैदा करने का यह अत्यंत प्रबल साधन है। 59
आर्थिक एवं ग्रामीण स्थितियों का सम्यक आंकलन करते हुए उन्होंने चरखे के पुनरुद्धार का स्वर बुलंद किया। 'हिन्दुस्तान स्वयं ही एक शोषित देश है इसलिए गाँव वालों को अगर आत्म निर्भर बनाना है तो सबसे स्वाभाविक बात यही हो सकती है कि चरखे और उससे संबंधित सब चीजों का पुनरुद्धार किया जाय। उनका यह दृढ़ विश्वास था कि चरखे के शान्त किन्तु निश्चित और जीवनप्रद 'रिवोल्यूशन' की तरह ही इससे शान्त और निश्चित क्रान्ति होती है।.....चरखे के बीस बरस के अनुभव ने मुझे इस बात का विश्वास दिया है कि मैंने उसके पक्ष में जो दलीलें दी है वह बिल्कुल सही है।' देश की जनता को अवगत किया कि युद्ध के द्वारा चाहे हमें अंग्रेजी शासन की जगह दूसरा शासन मिल जाय, पर आत्म-शासन नहीं। देहातियों की सेवा करने के ही उद्देश्य से देहात में प्रवेश करना-दूसरे शब्दों में जनता के अन्दर राष्ट्रीय चैतन्य और जागृति उत्पन्न करना जरूरी है। वह कोई जादूगर के आम की तरह अचानक नहीं टपक पड़ेगा। वह तो वट-वृक्ष की तरह प्रायः बेमालूम बढ़ेगा। खूनी क्रांति कभी चमत्कार नहीं दिखा सकती। इस मामले में जल्दी मचाना निःसंदेह बरबादी करना है। चरखे की क्रांति ही, जहां तक कल्पना दौड़ती है सबसे द्रुत क्रांति है। गांधी ने चरखे की क्रांति और प्रतिष्ठा में हिन्दुस्तान की आजादी के अहिंसक स्वरूप को देखा और पूरे मनोयोग से प्रचार-प्रसार भी किया।
पूर्ण स्वराज्य प्राप्त करने का सच्चा और अहिंसक मार्ग रचनात्मक कार्यक्रम है। हिंसक और असत्यमय साधनों द्वारा स्वाधीनता के निर्माण का अत्यन्त दुःखद परिचय हम पा ही चुके हैं। वर्तमान महायद्ध (द्वितीय विश्व यद्ध) में धन. जन और सत्य का नित्य ही जो नाश हो रहा है. वह हमारे सामने है। ‘सत्य और अहिंसात्मक साधनों द्वारा प्राप्त पूर्ण स्वराज्य का अर्थ है जाति-पाँति, रंग अथवा धर्म के भेद-भाव बिना राष्ट्र के हरेक समूह की चाहे वह छोटे-से-छोटे अथवा गरीब से गरीब ही क्यों न हो-स्वाधीनता बनी रहेगी। रचनात्मक कार्यक्रम के द्वारा गांधी देश में आजादी की लहर पैदा करना चाहते थे। उन्होंने निम्न रचनात्मक कार्यक्रम प्रस्तुत किये
साम्प्रदायिक (कौमी) एकता, अस्पृश्यता निवारण, खादी, सारे ग्रामोद्योग, गांवों की सफाई, नई अथवा बुनियादी शिक्षा, प्रौढ़ शिक्षा (बड़ों की तालीम), स्त्रियां (महिला जागृति), स्वास्थ्य और सफाई की शिक्षा, प्रान्तीय भाषायें, राष्ट्र भाषा, आर्थिक समानता, किसान, मजदूर, विद्यार्थियों के लिए कार्यक्रम। इनको व्यवहार के धरातल पर अंजाम देने में सत्याग्रह की महत्त्वपूर्ण भूमिका रही।
आजादी के मिशन को गांधी ने अहिंसा की मशाल से सदैव प्रज्ज्वलित रखने का प्रयत्न किया। जनता को अहिंसा पर डटे रहने के लिए आह्वान करते रहे। उनका आत्मीय निवेदन हिन्दुस्तानी
256 / अँधेरे में उजाला