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व्यक्ति की चेतना का जागरण होगा तभी समतापूर्ण, शोषणमुक्त समाज की रचना संभव बनेंगी। इसी आधार पर अहिंसक समाज का वास्तविक निर्माण हो सकेगा और वही लोकतन्त्र की स्वस्थता के लिए वरदान सिद्ध होगा।
सुरक्षात्मक पहलू अहिंसक समाज के सुरक्षात्मक पहलू पर प्रकाश डालते हुए गांधी ने कहा-अहिंसक समाज में पुलिस आज की पुलिस से बिल्कुल ही भिन्न प्रकार की होगी। उसमें अहिंसा में विश्वास रखने वालों की भरती होगी। वे लोगों के सेवक होंगे, सरदार नहीं। लोग उनकी सहायता करेंगे और वे दिन प्रतिदिन कम होते जाने वाले उपद्रवों का सरलता से समाधान कर सकेंगे। पुलिस के पास कुछ शस्त्र तो होंगे, पर उनका उपयोग शायद ही कभी होगा। वास्तव में देखा जाय, तो इस पुलिस को सुधारक के रूप में समझना चाहिए। ऐसी पुलिस का उपयोग मुख्यतया चोर-डाकुओं पर नियंत्रण रखने के लिए ही होगा। अहिंसक शासन में मजदूर-मालिकों का झगड़ा क्वचित् ही होगा। हड़तालें शायद ही होंगी। क्योंकि अहिंसक बहुमत की प्रतिष्ठा स्वभावतः इतनी होगी कि समाज के आवश्यक अंग इस शासन का आदर करने वाले होंगे। साम्प्रदायिक झगड़े भी इस शासन में नहीं होने चाहिए। अहिंसक समाज का यह सुरक्षापक्ष प्रचलित सुरक्षा-व्यवस्था से सर्वथा नवीन है। इसमें प्रशासन की जरूरत ही कभी कभार होगी क्योंकि इस समाज में परस्परता, भाई-चारे के साथ जीने वाले लोग होंगे।
ग्राम स्वराज्य के शासन बल के विषय में गांधी ने लिखा 'अहिंसा की-अर्थात् सत्याग्रह और असहयोग की सत्ता ही ग्राम-समाज का शासन बल होगा। गाँव की रक्षा के लिए ग्राम-सैनिकों का एक ऐसा दल रहेगा, जिसे लाजमी तौर पर बारी-बारी से गाँव के चौकी-पहरे का काम करना होगा। ...ग्राम स्वराज्य में आज के प्रचलित अर्थों में सजा या दंड का कोई रिवाज नहीं रहेगा। ग्राम सभा स्वयं ही गाँव की धारा-सभा और न्याय सभा होगी, उसके द्वारा चुनी हुई पंचायत गाँव की कार्यकारिणी होगी।' यह ग्राम सुरक्षा की सुगम प्रक्रिया है। इसमें प्रत्येक व्यक्ति को आत्मानुशासन जगाने का अवकाश रहेगा। गाँव की सुरक्षा में ग्रामीण स्वयं चौकीदार होंगे, पहरेदार होंगे तो अधिक सजगता से गाँव की रक्षा होगी।
सुरक्षा व्यवस्था के उत्कृष्ट उदाहरण के रूप में गांधी ने रामराज्य व्यवस्था का सूत्रपात किया। रामराज्य स्वराज्य का आदर्श है। इसका अर्थ है धर्म का राज्य, न्याय और प्रेम का राज्य, अहिंसक स्वराज्य या जनता का स्वराज। राम राज्य में एक ओर अथाह सम्पत्ति और दूसरी ओर करुणा-जनक फाकेकशी नहीं हो सकती; उसमें कोई भूखा मरने वाला नहीं हो सकता; उस राज्य का आधार पशुबल न होगा, बल्कि लोगों के प्रेम और समझ-बूझकर बिना डरे दिये हुए सहयोग पर वह अवलंबित रहेगा। राम राज्य का अर्थ है कम-से-कम राज्य। उसमें लोग अपना बहुत कुछ व्यवहार परस्पर मिलकर अपने आप चलायेंगे। कानून गढ़-गढ़कर अधिकारियों के द्वारा दंड के भय से उनका पालन कराना उसमें लगभग नहीं होगा।
उसमें सुधार करने के लिए जनता धारासभा या अधिकारियों की राह देखती बैठी न रहेगी। बल्कि लोगों के चलाये सुधारों के अनुकूल पड़ने वाले कानून में सुधार करने के लिए व्यवस्थापिका सभाएं और व्यवस्था करने के लिए अधिकारी यत्न करेंगे। उसमें सब धर्म, सब वर्ण और सब वर्ग समान भाव से मिल-जुलकर रहेंगे और धार्मिक झगड़ें या क्षुद्र स्पर्धा, अथवा विरोधी-स्वार्थ सरीखी
अहिंसक समाज : एक प्रारूप / 247