________________
मस्जिद के सामने मंच बनाकर आचार्य श्री का स्वागत किया अपितु कुरान की प्रति भी भेंट की। मुसलमानों का उत्साह मूर्तिमान हो रहा था। आचार्य श्री ने उस उत्साह को देखकर कहा-'अहिंसा
और समझौते की वृत्ति रहे तो भारत विकास की दिशा में छलांग भर सकता है।' मुस्लिम बंधुओं द्वारा संपादित स्वागत-भेंट अहिंसा यात्रा की ऐतिहासिक घटना है।235
मुंबई-ठाणे अहिंसा यात्रा के आगमन पर महाराष्ट्र सरकार के मंत्री राजेन्द्र दर्डा अहिंसा ध्वज हाथों में उठाये जुलूस की अगवानी कर रहे थे। मुसलमान लोगों की खासी संख्या देखकर उन्होंने बड़े आश्चर्य के साथ कहा-'जैन आचार्य के स्वागत में मुसलमान इतनी बड़ी संख्या में कैसे उपस्थित हो रहे हैं?' आचार्य श्री ने बताया कि 'अहिंसा यात्रा में यह कोई आश्चर्य की बात नहीं है। राजस्थान से लेकर यहाँ पहुँचने तक हजारों-हजारों मुसलमान हमारे संपर्क में आये हैं। हम भी मुसलमानों की दरगाहों और संस्थानों में जाते रहे हैं। यह साम्प्रदायिक सौहार्द अहिंसा यात्रा की अनुपम उपलब्धि रही है।
मुम्ब्रा में दरगाह के स्थानीय मुस्लिम बंधुओं ने अहिंसा यात्रा का स्वागत किया। उन्होंने इस उपक्रम को मानव-मानव के बीच सौहार्द स्थापन का एक महत्वपूर्ण प्रयत्न बतलाया। इस अवसर पर आचार्य महाप्रज्ञ ने सभी बंधुओं को यह सामूहिक प्रतिज्ञा करवाई कि 'मैं जाति सम्प्रदाय के नाम पर लड़ाई दंगा नहीं करूँगा।' सभी ने संकल्प के साथ अपने आप को शक्तिशाली अनुभव किया।
अहिंसा यात्रा के मुंबई प्रवास से साम्प्रदायिक सौहार्द का वातावरण बना। हिंदू और मुसलमानों में संवाद बना, परस्परता की दूरी पटी, कड़ी जुड़ी। हर स्थान पर पहुँच कर आचार्य महाप्रज्ञ ने प्रेम, अहिंसा और भाईचारे का संदेश दिया। सचमुच गांधी का नोआखली का हिंदू-मस्लिम एकता दृश्य आचार्य महाप्रज्ञ के मार्फत मुंबई में साकार हो उठा। गृह राज्यमंत्री कृपाशंकर के शब्दों में- 'मुंबई में आचार्य श्री महाप्रज्ञ जी के प्रवास के कारण पूरी तरह शांति बनी रही।236 यह उनका व्यक्तिशः और सामूहिक अनुभव रहा।
अहिंसा यात्रा के स्थायी प्रभाव की दृष्टि से अहिंसा निष्ठ आयोजनों की मुंबई में झड़ी लग गयी। जिनमें प्रमुख है-अहिंसा संवाय मंच सेमिनार (1-3 माच), आचार्य तुलसी महाप्रज्ञ विचार मंच, संस्कृति संगम की ओर से-पंच दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन का समापन महाप्रज्ञ सभागार में आयोजित-40 देशों के 210 प्रतिनिधियों ने आचार्य महाप्रज्ञ के विचारों को प्रेरणा पाथेय के रूप में स्वीकारा। 'शिक्षा के नैतिक मूल्य' सेमिनार. प्रेक्षाध्यान शिविर पंचदिवसीय. त्रिदिवसीय राष्ट्रीय अहिंसा समवाय सम्मेलन, अहिंसा प्रशिक्षण केन्द्र का उद्घाटन, पंच दिवसीय प्रेक्षाध्यान शिविर में प्रबुद्ध वर्ग का संगम-जज, बैंक मैनेजर, डॉक्टर, वकील, चार्टेड एकाउंटेट, ग्रेजुएट विशेष रूप से। सर्वांगीण विकास के परिप्रेक्ष्य में 'समग्र विकास के मूलवर्ती प्रयोग'-त्रिदिवसीय परिसंवाद । गुरूकुल के 200 शिक्षक-शिक्षिकाओं का त्रिदिवसीय जीवन विज्ञान शिक्षण-प्रशिक्षिण में चार सौ से अधिक शिक्षकों ने अपनी सहभागिता दर्ज की। चार्टेड एकाउंटेट्स की संगोष्ठी। डाक्टर्स संगोष्ठी, मुंबई पुलिस उच्च अधिकारियों के बीच पुलिस प्रशासन में 'तनाव प्रबंधन' विषय पर चर्चा, जिसमें चौबीस पुलिस स्टेशन्स के लगभग 150 पुलिस अधिकारियों ने भाग लिया। पुलिस जवानों का प्रेक्षाध्यान प्रयोग, 'सर्व धर्म सद्भाव सम्मेलन' आदि विभिन्न आयोजनों के साथ छोटे-मोटे अनेक कार्यक्रम अहिंसा यात्रा के बेनर तले सम्पादित हुए। जो आचार्य महाप्रज्ञ की प्राणवान अहिंसा की समय-समय पर हामी भरते रहेंगे। अहिंसा-शांति और साम्प्रदायिक सौहार्द की दृष्टि से मुंबई में अहिंसा यात्रा ने कीर्तिमान कायम किया।
आचार्य महाप्रज्ञ का अहिंसा में योगदान | 113