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महाप्रज्ञ ने अपनी निर्मल प्रज्ञा से वैश्विक समस्याओं का समाधान उन्मुक्त भाव से किया। अशांत विश्व को शांति का पाठ ताउम्र पढ़ाया। उनके चिंतन में सामयिकता एवं अलौकिकता का अपूर्व संगम था। महत्त्व है उनके ऐसे विराट् व्यक्तित्व निर्मापक कारकों का, प्रेरणा प्रदीपों का जिन्होंने हाडमांस की देह में दिव्यता का संसार किया। प्रस्तुत संदर्भ में योगभूत कारकों का संक्षिप्त सिंहावलोकन अभीष्ट है।
154 / अँधेरे में उजाला