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सभी के प्रति हार्दिक कृतज्ञ भाव प्रकट करते हुए गांधी ने मंगलमय जीवन की कामना की और दक्षिण अफ्रीका से सत्याग्रह की नयी तालीम को संजोकर स्वदेश लौटे। अपने लंबे प्रवास में अहिंसक संघर्ष की जो प्रेरणा प्राप्त की वह उनके जीवन का अभिन्न अंग बन गयी।
दक्षिण अफ्रीका से लौटकर तत्कालीन भारत की पतित सामाजिक आर्थिक परिस्थितियों से प्रभावित होकर रचनात्मक कार्यक्रमों को अपनाया। जिसमें साम्प्रदायिक सद्भाव, नारी उत्थान, हरिजनउद्धार, दरिद्रनारायण की सेवा, स्वदेशी, ग्रामोत्थान आदि को प्रमुखता दी गयी। भारत के राष्ट्रीय नेता तिलक से प्रभावित हो गांधी ने राजनीति में जन आन्दोलन की विधा को अपनाया। अपने 'राजनीतिक गुरु' के रूप में गोखले से राजनीति में आध्यात्मीकरण की प्रेरणा तथा साध्य के समान साधन की पवित्रता का आदर्श ग्रहण किया। जिसका पालन भारत के आजादी-अभियान में भी अक्षरशः किया गया।
प्रेरणा संग्रहण, गुण-ग्राहिता की प्रवृत्ति गांधी जीवन की विरल विशेषता थी। विभिन्न स्रोतों से सद्विचारों को ग्रहण किया। वे ही उनके अखंड व्यक्तित्व एवं अहिंसक जीवन निर्माण के घटक बनते गये। वे गुण सुमनों से जीवन हार सझाते गये। अति मानवीय चेतना का जागरण कर प्रतिस्त्रोत के पथ पर बढ़ते हुए दुनिया भर के लोगों को जीवंत संदेश दिया। वो संदेश आज भी वैश्विक समस्याओं के समाधान में अहं भूमिका रखता हैं। गांधी को अपने इर्द-गिर्द जो भी ग्रहण करने योग्य, प्रेरणामय प्रतीत हुआ उसे वे अपनाते गये। उनकी इस ग्राहकता का चित्रण वल्लभ भाई पटेल के शब्दों में 'उनका हृदय समुद्र जैसा था जो हजारों नदियों एवं जल-स्रोतों के जल को आत्मसात् कर लेता है
और अपने सहायक प्रत्येक जल-स्रोतों से मिलने पर समान भावनात्मक उमंगों से विस्तार पाता है। 45 यह कथन गांधी के विराट् व्यक्तित्व, विशाल हृदय की ऊँचाइयों का साक्षीभूत सबूत है।
152 / अँधेरे में उजाला