________________
परमेश्वर की सच्ची संतान बन सकें'-आदि अंशों को जब मैंने पढ़ा तो मुझे बहुत ही ज्यादा खुशी हुई। बाइबिल में मेरे मन के भावों की गूंज सुनाई पड़ेगी, इसकी तो मुझे उम्मीद भी नहीं थी। आत्मकथा में स्वीकारा कि ईसा के गिरि-प्रवचन का मुझ पर बहुत अच्छा प्रभाव पड़ा। उसे मैंने हृदय में बसा लिया। बुद्धि ने गीता के साथ उसकी तुलना की।
'बाइबिल' से गांधी ने न्याय के लिए अहिंसक संघर्ष की प्रेरणा प्राप्त की। आगे जाकर यह उनकी आजादी की लड़ाई का हथियार बन गया। 'बुराई को सदैव अच्छाई द्वारा जीतने' का अमर संदेश एवं शत्रु को भी प्रेम से जीतने का रहस्य गांधी को गिरि-प्रवचन में नजर आया।
इस वचन से दूसरे धर्माचार्यों को भी पढ़ने की भावना जगी। मित्र ने कार्लाइन की 'विभूतियाँ और विभूति-पूजा' (हीरोज-एण्ड हीरोवर्शिप) पढ़ने की सलाह दी। उसमें पैगम्बर (हजरत मुहम्मद) का प्रकरण पढ़ा जो वीरता-महानता का संदेश है। पारसी एवं इस्लाम धर्म का भी अध्ययन किया। बुद्धचरित्र एवं विभिन्न धर्मों का अध्ययन किया। ईसाई संत लियो टॉल्स्टॉय व्यक्तित्व निर्माण में अनेकानेक संघटक योगभूत बनते हैं। ये प्रत्यक्ष अथवा परोक्ष रहकर भी व्यक्ति को प्रभावित करते हैं। अत्यधिक प्रखर परोक्ष कारक भी विचार तरंगों को प्राणवान् बनाने में योगभूत बनते हैं। महात्मा गांधी पर टॉल्स्टॉय का प्रभूत प्रभाव पड़ा जिसकी प्रथम कड़ी निबंध बना। जातमेहनत तमाम मनुष्यों के लिए लाजिमी है, यह बात सर्वप्रथम टॉल्स्टॉय का एक निबंध पढ़कर गांधी के मन में अंकित हो गयी। यद्यपि इससे पहले वे रस्किन का 'अनटू दिस लास्ट' सर्वोदय पढ़कर अपने जीवन का क्रम इस रूप में बदल चुके थे परन्तु जात-मेहनत अंग्रेजी शब्द 'ब्रेड लेवर' का अनुवाद है। 'ब्रेड लेवर' का शब्दात्मक अनुवाद है रोटी के लिए मजदूरी। रोटी के लिए हर एक मनुष्य को मजदूरी करनी चाहिए।
उनकी दृष्टि में यह मूल खोज टॉल्स्टॉय की नहीं है, लेकिन उनसे बहुत कम मशहूर रशियन लेखक बोन्दरेव्ह (T.M. Bondarev) की है। टॉल्स्टॉय ने उसे रोशन किया और अपनाया। इसकी झाँकी मेरी आंखें भगवद्गीता के तीसरे अध्याय में करती हैं। यज्ञ किये बिना जो खाता है वह चोरी का अन्न खाता है, ऐसा कठोर शाप यज्ञ नहीं करने वाले को दिया गया है। यहां यज्ञ का अर्थ जात-मेहनत या रोटी-मजदूरी ही शोभता है और मेरी राय में यही हो सकता है। स्पष्ट है गांधी की दृष्टि तथ्य को ग्रहण करने में कुशाग्र थी। किस संदर्भ में शब्द का क्या सही अर्थ हो सकता यह कठिन कार्य वे बड़ी सुगमता से संपादित कर लेते। उनके अभिमत में जिसे अहिंसा का पालन करना है, सत्य की भक्ति करनी है, ब्रह्मचर्य को कुदरती बनाना है, उसके लिए तो जात-मेहनत रामबाणसी हो जाती है।
टॉल्स्टॉय भारत-भू के सामाजिक, धार्मिक एवं दार्शनिक उत्थान तथा अंग्रेजों के विरुद्ध संघर्ष में रुचि रखते थे। इस संबंध में उन्होंने 'ए लैटर टू हिन्दू' नाम की पत्रात्मक धारा में भारतीय क्रांतिकारियों को संबोधित करते हुए लिखा-'यदि भारतीय जनता हिंसा के द्वारा गुलाम बनी है, तो इसका अर्थ है कि उसने हिंसा में जीवन के शाश्वत नियम की पहचान नहीं की है।' इस पत्रात्मक प्रेरणा से गांधी अत्यन्त प्रभावित हुए तथा टॉल्स्टॉय के भावपूर्ण अक्षरांकित हृदयोद्गार से 'सामूहिक अवज्ञा' एवं अहिंसात्मक प्रतिरोध का सबक सीखा।
आध्यात्मिक-नैतिक बोध पाठ / 143