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अपूर्व शांतिमय माहौल के निर्माण में अहिंसा यात्रा भी एक निमित बनी। अहिंसा यात्रा का उद्देश्य भी यही है व्यक्ति के भीतर अहिंसक चेतना को जगाना, नैतिक मूल्यों की निष्ठा पैदा करना। जनता का स्वर था-'गांधी के बाद गुजरात की धरती पर पुनः अहिंसा के स्वरों को बुलन्दी देने वाले ये दूसरे महापुरूष हैं।'
इस अवसर पर अहिंसा यात्रा प्रणेता आचार्य महाप्रज्ञ ने एक संदेश स्वामीनारायण मन्दिर के प्रमुख को 24.09.2000 को दियाआदरणीय श्री प्रमुख स्वामी महाराज, ___अक्षरधाम जैसे पवित्र स्थल पर जो हुआ, उसे शब्दों में व्यक्त नहीं किया जा सकता, उसकी वेदना का ही अनुभव किया जा सकता है। आपने इस अवसर पर शांति बनाये रखने का जनता से अनुरोध किया। यह आपकी महानता व क्षमाशीलता का सूचक है। इस प्रकार की घटनायें हमें महसूस कराती हैं कि अहिंसा की शक्ति का विश्वास होना चाहिए और अहिंसा जन-जन में प्रतिष्ठित होनी चाहिए। पूर्ण सहानुभूति के साथ
प्रस्तुत संदेश के प्रति कृतज्ञता भरे शब्दों में शा.नारायण स्वरूपदास (प्रमुख स्वामी महाराज) ने प्रत्युत्तर संदेश भेजा। इस पूरे घटना चक्र की प्रतिक्रिया में अहिंसा की जो सकारात्मक भूमिका रही उसकी सौरभ विश्वभर में फैली। एक बार फिर महाप्रज्ञ के रूप में गांधी को याद किया गया।
प्रेक्षा विश्वभारती, कोबा प्रवास में अनुशास्ता के हर उच्छवास और शब्द में अहिंसा की अनुगूंज अनुभव की गई। जिसका निदर्शन दीपावली पर प्रदत्त उनके संभाषण में भी मुखरित हुआ-'दीपावली मनाने का अधिकारी कौन? जो सब प्राणियों को अपनी आत्मा के समान समझता है। वह व्यक्ति ही भीतर के प्रकाश को जागृत कर सकता है। भीतर का अंधकार है अन्याय, शोषण, हिंसा, और मूच्र्छा। इन्हें तोड़कर ही भीतर के प्रकाश को प्रकट किया जा सकता है। 232 वहाँ उपस्थित बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं को अहिंसक चेतना जागरण का सक्रिय बोध पाठ मिला।
यह भी जाने, अहमदाबाद-कोबा में अहिंसा यात्रा प्रणेता का चातुर्मासिक प्रवास उपलब्धियों भरा आशातीत रहा। गांधी के मिशन को नया बल मिला। देश के गणमान्य नेता वर्ग-राष्ट्रपति डॉ. ए. पी. जे. अब्दुल कलाम, उप प्रधानमंत्री श्री लालकृष्ण आडवाणी, कांग्रेस अध्यक्षा सोनिया गांधी, अंतर्राष्टीय लॉयन्स क्लब के अध्यक्ष कमार पाल भाई देसाई। इसी तरह ख्याति लब्ध राजनेता. धर्म नेता, मीडिया से जुड़े व्यक्तियों, सम्प्रदाय विशेष के व्यक्तियों ने आचार्य महाप्रज्ञ से समयोचित मार्गदर्शन प्राप्त किया।
अहिंसा के कार्य को स्थायित्व प्रदान करने की दृष्टि से सैंकड़ों मौलिक कार्यक्रम संपादित हुए। यथा-कन्या प्रशिक्षण शिविर, व्यक्तित्व विकास का प्रशिक्षण, प्रेक्षा ध्यान शिविर, उपासक श्रेणी शिविर, अहिंसा समवाय सेमीनार, दस दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय प्रेक्षा ध्यान शिविर, मानवीय एकता सम्मेलन आदि । एक वाक्य में अनुशास्ता आचार्य महाप्रज्ञ ने गांधी के गुजरात में अहिंसा की लहर पैदा की। अहिंसा की अलख मुंबई मेंकरुणा, मैत्री और सद्भावना की मशाल थामे, अहिंसा-यात्रा का परचम फहराते हुए आचार्य महाप्रज्ञ देश की प्रथम महानगरी मुंबई पहुंचे। 25 जनवरी से 13 मई, तक का प्रवास संपूर्ण मुंबई ‘अहिंसक चेतना जागरण' अभियान के रूप में रहा। इस उपक्रम से सरसब्ज हुए महत्त्वपूर्ण क्षेत्र-कुर्ला, कांदिवली,
110 / अँधेरे में उजाला