Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Part 17 Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
View full book text
________________
१०२
भगवतीसूत्रे
बानाह - 'गोयमा' इत्यादि, 'गोयमा' हे गौतम! 'नो नेरइयाउयं०' नो नैरयिकायुकम् अक्रियावादिनो नारकाः प्रकुर्वन्ति 'तिरिक्खजोणियाउयं पकरे वि' तिर्यग्योनिका युवक प्रकुर्वन्ति 'मणुस्साउयं पिपकरेंति' मनुष्यायुष्कमपि प्रकु वन्ति 'नो देवाउयं पकरेंति' नो देवायुष्कं प्रकुर्वन्ति । ' एवं अन्नाणियबाई बि वेणइयवाई वि' एवम् - अक्रियावादि नारकवदेव अज्ञानिकवादिवैनयिकवादिनारका अपि न नारकदेवायुकं प्रकुर्वन्ति किन्तु तिर्यग्मनुष्यायुष्क ं प्रकुर्वन्ति इमें त्रयोऽ. क्रियावादिनः तिर्यग्मनुष्यायुषामेव कर्त्तारो भवन्ति न तु नारकदेवायुषां बन्धका भवन्तीति भावः । 'सलेस्सा णं भंते ! नेरइया किरियाबाई' सलेश्याः खल या देवायुका बन्ध करते हैं? उत्तर में प्रभुश्री कहते हैं-गोयमा । नो नेराउ, हे गौतम! अक्रियावादी नैरयिक नैरधिकायुष्क का बन्ध नहीं करते हैं 'नो देवाउयं पकरेंति' देवायुष्क का बन्ध नहीं करते हैं, किन्तु' तिरिक्खजोणियाउयं पकरेंति, मणुस्साज्यं पि पक रेति' तिर्यगायुष्क का बन्ध करते हैं और मनुष्यायुष्क का भी बन्ध करते हैं। 'एवं अभाणियवाई वि वेणइयवाई वि' इसी प्रकार से अज्ञानिकवादी नैरयिक और वैनयिकवादी नैरथिक भी न नारकायु को बन्ध करते हैं और न देवायुका ही बन्ध करते हैं किन्तु 'तिरिक्खाउयं पकरेति मणुस्सायं पि पकरेंति' तिर्यगायु का बन्ध करते हैं और मनुष्यायु का भी बन्ध करते हैं। इस प्रकार ये अक्रियावादी, अज्ञानिकबादी और वैनयिकवादी नारक तिर्यग्मनुष्य आयुका ही बन्ध करने वाले होते हैं, नारक देवायुक्का नहीं । 'सलेस्सा णं भंते! नेरहया अनुश्री छे - 'गोयमा ! नो नेरइयाज्यं' हे गौतम! अहियावादी नैरयिङ नैरयिना आयुष्यनो अध उश्ता नथी. नो देवाउयं पकरेंति' देव संबधी आयुष्यने। अध ४२ता नथी. परंतु 'तिरिक्खजोणियाज्यं पकरेति मणुस्सा उय पकरे ति' तिर्यय आयुष्यना घरे छे, मने मनुष्य आयुना पशु अधरे छे. ' एवं अन्नाणियवाई वि वेणइयवाई वि' मे४ प्रमाणे अज्ञानवाही नैरपि मने નૈનિયકવાદી નૈરિયકા પણ નારક આયુને અંધ કરતા નથી અને દેવ આયુને पशु अंध ४रता नथी परंतु तेथे 'तिरिक्खाउयं' पकरेति मणुस्साउयं पि पकरें ति' તિય"ચ આયુષ્યના બંધ કરે છે, અને મનુષ્ય આયુને પણ અધ કરે છે. આ રીતે આ અક્રિયાવાદી, અજ્ઞાનવાદી અને વૈનયિકવાદી નારકો તિય ચ અને મનુષ્યેાના આયુનેાજ ખંધ કરવાવાળા હાય છે નારક અને દેવ આયુના મધ કરવાવાળા હાતા નથી.
'सरसाणं भंते । नेरइया किरियाबाई' डे लगवन् के नैरयि है।
बेश्या -
શ્રી ભગવતી સૂત્ર : ૧૭