Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Part 17 Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
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भगवतीमत्र मीष्वेव नारकपृथिवीषु भवतीत्यतोऽत्र सामान्य दण्ड तथा तृतीय धनुर्थपश्चमी पृथिवीदण्डको भवतीति 'नीललेस्सखुड्डागाडजुम्मनेरइया णं भंते !' नील.
यक्षुल्लककृतयुग्मनैरयिकाः खलु भदन्त ! 'को उपज्जति' कुत:कस्मात् स्थानविशेषादागत्योत्पधन्ते ? इति प्रश्ना, भगवानाह-‘एवं जहे' इत्यादि, ‘एवं जहेब कण्हले स्सखुड्डागाडजुम्मा' एवं यथैव कृष्णलेश्यालकक कृतयुग्माः यथा द्विनीयोद्देशके कृष्गलेश्य क्षुल्लक कृतयुग्मप्रमाणकजीवाना. मुत्पाद: कथित स्तेनैव रूपेग नील छेश्यक्षुल्लककृतयुग्मप्रमाणकजीवानामुपपातादि वक्तव्य इति । 'नबरं उपवाभो जहा वालुयप्पभाए' नवरं केवलमुपपातो यथा बालकाप्रमायाम् , अत्र खलु नीललेश्या प्रक्रान्ता सा च नीललेश्या बालु. तृतीय चतुर्थ और पंचमी नारक पृथिवी में ही होती है। इसलिये यहां एक सामान्य दण्डक है । तथा तृतीय चतुर्थ और पंचमी पृथिवी के
आश्रित तीन दण्डक हैं।। ___'नीललेस्स खुड्डाग कडजुम्म नेरल्याणं भंते ! कओ उक्वज ति' हे भदन्त ! नीललेश्यावाले क्षुल्लक कृतयुग्मराशि संपन्न नैरयिक किस स्थान विशेष से आकर के नरकावास में उत्पन्न होते हैं ? उत्तर में प्रभुश्री कहते हैं-'एवं जहेव कण्हलेस्प्त खुड्डाग कडजुम्न' हे गौतम! जिस प्रकार से द्वितीय उद्देशक में कृष्णलेश्यावाले क्षुल्लक कृतयुग्म प्रमाण संपन्न जीवों का उत्पात आदि वक्तव्य हुआ है उसी प्रकार से यहां नीललेश्शावाले क्षुल्लक कृतयुग्म प्रमाण युक्त जीवों का उत्पात
आदि भी वक्तव्य हुआ है। 'नवर उववाओ जहा बालुरप्पभाए' परन्तु विशेष यह है कि बालुकाप्रभा में जैसा उपपात कहा गया है वैसा ही उपपात यहां पर कहना चाहिये, यहां नीललेश्या प्रक्रान्त है। यह અને પાંચમી નારક પ્રખ્યામાં હોય છે. તેથી અહિયાં એક સામાન્ય દંડક કહેલ છે. તથા ત્રીજી, ચોથી અને પાંચમી પૃથ્વી સંબંધી ત્રણ દંડકે કહ્યા છે.
'नीललेस्सखुड्डागकजुम्मनेरइया णं भंते ! कओ उववज्जति' ले ભગવન નીલલેશ્યા ભુલક કૃતયુમ રાશીવાળા નૈરયિકે ક્યા સ્થાન વિશેષથી આવીને નરકાવાસમાં ઉત્પન્ન થાય છે? આ પ્રશ્નના ઉત્તરમાં પ્રભુશ્રી કહે છે કે'एवं जहेव कण्हलेस चुड्डागकडजुम्म' हे गीतम!२ प्रमाणे भी देशामा કૃષ્ણવેશ્યાવાળા મુલક કૃતયુગ્મ પ્રમાણુવાળા જીના ઉત્પાદના સંબંધમાં કથન કરવામાં આવ્યું છે, એ જ પ્રમાણે અહિયાં નીલેશ્યાવાળા સુલલક કૂતયુમ प्रमाण वाना पाहविगेरे समयमा ४ी से'. 'नवरं उबवाओ जहा वालुयप्पभाए' परंतु माडियां विशेष से छे है-पाहुप्रभा पृथ्वीमा २ પ્રમાણેને ઉપપાત કહો છે, એ જ પ્રમાણેને ઉપપાત અહિયાં પણ સમજ.
શ્રી ભગવતી સૂત્ર : ૧૭