Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Part 17 Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti

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Page 743
________________ ७२० भगवतीसत्र समये योजा स्तस्मिन् समये कृतयुग्माः 'जं समयं कडजुम्मा तं समयं तेोगा' यस्मिन् समये कृतयुग्माः तस्मिन् समये योजाः किमिति प्रश्नः, उत्तरमाह-'नो इण्टे समडे' नायमर्थः समर्थः यस्मिन् समये योनाः न तस्मिन् समये कृतयुग्मा तथा यदा कृतयुग्मा स्तदा न योजा इति भावः । 'ज समयं तेओगातं समयं दावर जुम्मा जं समयं दावरजुम्मा तं समयं तेओगा' यस्मिन् समये योजाः तस्मिन् समये द्वापरयुग्माः यस्मिन् समये द्वापरयुग्मा स्तरिमन् समये योजार, वैसा ही है। 'ते णभंते ! जीवा जसमयं तेोगा तं समय कडजुम्मा' हे भदन्त ! ये राशियुग्म योज जीव जिस समय योज राशिप्रमाण होते हैं उस समय में वे क्या कृतयुग्म राशिप्रमाण हो जाते हैं ? 'ज समय कडजुम्मा तं समयं तेओगा' और जिस समय ये कृतयुग्म राशिप्रमाण होते हैं उस समय क्या वे व्योज राशिप्रमाण हो जाते हैं उत्तर में प्रभुश्री कहते हैं-'णो इणढे समडे' हे गौतम ! यह अर्थ समर्थ नहीं है । अर्थात् जिस समय ये योजराशिप्रमित होते हैं उस समय में ये कृतयुग्म राशि रूप नहीं होते हैं तथा जब ये कृतयुग्म राशीरूप होते हैं, तब वे व्योज राशिरूप नहीं होते हैं। 'ज समय तेओगा त समयं' हे भदन्त ! ये जीव जिस समय योजराशिरूप होते हैं तब क्या ये उस समय 'दावरजुम्मा' द्वापरयुग्म रूप होते हैं ? और जिप्त समय ये द्वापरयुग्म होते हैं उस समय क्या ये उघोजराशि रूप हो जाते हैं? भंते ! जीवा जौं समय ते ओगा त समय कडजुम्मा' मापन् मा શિયુગ્મ જ જીવ જ્યારે જ રાશિપ્રમાણ હોય છે. તે સમયે ते। शुकृतयुमशि प्रभाव 25 तय छ १ ज समय कइजुम्मा त समय तेओगा' अरे यारे ते कृतयुम शिप्रभावासाय छ, ત્યારે તેઓ જ રાશિરૂપ થઈ જાય છે ? આ પ્રશ્નના ઉત્તરમાં પ્રભુશ્રી गीतभाभी 3 छ ४-‘णो इणद्वे समटे गौतम ! 21 मथ परामर નથી. અર્થાત જ્યારે તેઓ જ રાશિરૂપ હોય છે, ત્યારે તેઓ કૃતયુમ રાશિરૂપ હોતા નથી. તથા જ્યારે તેઓ કૃતયુ રશિરૂપ હોય છે, ત્યારે तमा त्र्य शि३५ डाता नथी. 'ज' समय तेओगा तं समय ભગવદ્ આ છે જ્યારે Àાજરાશિ પ્રમાણુવાળા હોય છે, ત્યારે શું तमा 'दावरजुम्मा ५२युम ३५ डाय छ, भने न्यारे तसे। શ્રી ભગવતી સૂત્ર: ૧૭

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