Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Part 17 Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti

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Page 621
________________ भगवतीसूत्रे ॥२-११ उद्देसगा मूलम्-पढमसमयकडजुम्मकडजुम्म बेंदियाणं भंते ! कओ उववज्जति एवं जहा एगिदिय महाजुम्माणं पढमसमय उद्देसए, दस नाणत्ताइं ताई चेव दस इह वि। एकारसमं इमं नाणत्तं नो मणजोगी नो वयजोगी कायजोगी सेसं जहा बेंदियाणं चेव पढमुद्देसए । सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति एवं एएवि जहा एगिदिय महाजुम्मेसु एकारस उद्देसगा तहेव भाणियवा । नवरं चउत्थ छट्ठ अट्रमदसमेसु सम्मत्त नाणाणि न भवंति। जहेव एगिदिएसु पढमो तइओ पंचमो य एक्कगमा सेसा अट्ट एकगमा ॥ छत्तीसइमे सए पढमं बेंदियमहाजुम्मसयं समत्तं ॥३६-१॥ छाया--प्रथमसमयकृतयुग्मकृतयुग्म द्वीन्द्रियाः खलु भदन्त कुत उत्पद्यन्ते ? एवं यथा एकेन्द्रियमहायुग्मानां प्रथमसमयोद्देशके । दशनानात्वानि तान्येव दश इहापि । एकादशमिदं नानात्वम्-नो मनोयोगिनो नो वचोयोगिनः, काययोगिनः शेषं यथा द्वीन्द्रियाणामेव प्रथमोद्देशके । तदेवं भदन्त ! तदेवं भदन्त ! इति । एवमेतेऽपि यथा एकेन्द्रियमहायुग्मेषु एकादशोदेशका स्तथैव भणितव्या। नवरं चतुर्थ षष्ठाष्टमदशमेषु सम्यक्त्वज्ञाने न भवतः । यथैवैकेन्द्रियेषु प्रथम स्तृतीयः श्चमश्च एकगमाः शेषा अष्टौ एकगमाः । षत्रिंशत्तमे शतके प्रथमं द्वीन्द्रियमहायुग्शतं समाप्तम् ३६।१॥ टीका--'पढमसमयकडजुम्मकडजुम्म बेंदियाणं भंते को उवरजति' प्रथम समय कृतयुग्म कृतयुग्म द्वान्द्रियाः खलु भदन्त ! जीवाः कुत उत्पद्यन्ते कि शतक ३६ उद्देशक २-११ । 'पढमसमय कडजुम्म कडजुम्म बेह दियाण भंते !कओउववज्जति' इत्यादि सूत्र ॥१॥ टीकार्थ-हे भदन्त ! प्रथम समयोत्पन्न कृतयुग्म कृतयुग्म राशि रूप दो इन्द्रिय जीव किस स्थान विशेष से आकर के उत्पन्न होते हैं? બીજા ઉદેશાથી અગિયારમા સુધીના ઉદ્દેશાઓને પ્રારંભ– 'पढमसमय कडजुम्म कडजुम्म बेदियोण भते! को उववज्जति'. ટીકાઈ–હે ભગવન પ્રથમ સમયમાં ઉત્પન્ન થયેલા કૃતયુગ્મ કૃતયુમ રાશિવાળા બે ઈન્દ્રિય જી કયા સ્થાન વિશેષથી આવીને ઉત્પન્ન થાય છે? શ્રી ભગવતી સૂત્ર : ૧૭

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