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२८] _ अथ संविग्न साधुयोग्यं नियम कम् असणे तह पडिक्कमणे,
वयणं वजे विसेस कजविणा। सकीयमुवहिं च तहा,
पडिलेहंतो न बेमि सया ॥१४॥ आहार-पानी ग्रहण करते समय या प्रतिक्रमण करते समय कोई महत्वपूर्ण कार्य के बिना किसी को कुछ भी नहीं कहना, या स्वयं की पडिलेहणा करते समय कभी भी बोलू नहीं, यदि बडों के पडिलेहण समय किसी हेतु से बोलना पड़े तो 'जयणा ॥१४॥ अन्नजले लभते विहरे, ____नो धावणं सकज्जेणं। अगलिय जलं न विहरे,
जरवाणीअं विसेसेणं ॥१५॥ ३. एषणा समिति-यदि निर्दोष प्रासुक (निर्जीव) जल मिलता हो तो स्वयं के लिये धोवण वाला जल ग्रहण न करूं, बिना छाना जल न लहूं तथा गृहस्थों का तैयार किया हुआ जरवारी (झरा हुआ) जल तो विशेष करके ग्रहण नहीं करूं ॥१५॥