________________
-
दश श्रावक कुलकम् __ _[ १४५ कासीए चुलणी पिया,
सामा भन्जा य गोउला छ । चउवीस कणय कोडी,
सड्ढाण सिरोमणी जायो ॥४॥ काशी में श्रावकों में शिरोमणी 'चुलणी पिता' श्रावक प्रभु महावीर का भक्त हुआ था। उसके श्यामा स्त्री, आठ गोकुल, चौचीस कोटि स्वर्ण मुद्राएँ थी ।। ४ ॥ कासीई सूरदेवो, धन्ना भजा य गोउला छच्च । कणयट्ठारस कोडी, गहीयवश्रो सावत्रो जायो॥५॥ ___काशी में सुरदेव नाम का गृहस्थ था, उसके धन्या नाम की पत्नी थी, छ गोकुल तथा अठारह कोटि स्वर्ण मुद्राओं का स्वामी था । व्रत ग्रहण कर वह श्री महावीरस्वामी भगवान का श्रावक हुआ था ॥ ५ ॥ श्रालंभित्रानयरीए,
नामेणं चुल्ल सयगयो सडढो । बहुला नामेण पिया,
रिद्धी से कामदेवसमा ॥॥