Book Title: Kulak Sangraha
Author(s): 
Publisher: Sushilsuri Jain Gyanmandir

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Page 285
________________ ४७ म० सा० का श्रीमंधने स्वागत किया । अनेक गर्छुलीओं हुई । प० पू० आ० श्रीमद्विजयमंगलप्रभभूरीश्वरजी म० सा० एवं प० पू० आ० श्रीमद्विजय अरिहंत सिद्धसूरिजी म० सा० आदि का सुभग संमिलन हुआ । प० पू० आ० श्रीमद्विजयसुशीलसूरीश्वरजी म० सा० का मंगलाचरण एवं तान्त्रिक प्रवचन होने के पश्चात् प० पू० आ० श्रीमद्विजयमंगलसूरीश्वरजी म० सा० का भी प्रवचन श्रवण करने का लाभ श्रीसंघ को मिला । सर्वमंगल. 1 के बाद प्रभावना हुई । दोपहर में भी प्रभुपूजा प्रभावना युक्त हुई । एक साथ में तीन आचार्य भगवन्तों, साधु महात्माओं एवं साध्वी महाराजाओं के दर्शन- चन्दनादिक से तथा जिनवाणी का श्रवण से श्रीसंघ को अत्यन्त आनन्द हुआ । वहां से पाथावाडा तथा कुचावाडा पधार कर खीमत पधारते हुए प० पू० आ० म० सा० का श्रीसंघने स्वागत किया । प्रवचन के पश्चात् प्रभावना हुई । दोपहर में प्रभु की पूजा भी प्रभावना युक्त हुई । दूसरे दिन भी प्रवचन के पश्चात् प० पू० आ० म० सा० आदि संघयुक्त शा· दलसाभाई मंछालाल जोगाणी के घर पर स्वागत पूर्वक पधारे। वहां पर भी ज्ञानपूजन और मंगलाचरण के बाद संघपूजा हुई ।

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