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दोपहर में सागर के उपाश्रय में प० पू० आ० मा० सा० का 'धर्म की महत्ता' पर जाहेर प्रवचन होने के बाद पूज्य पन्यास श्री अभयसागरजी म. सा० का भी प्रवचन हुआ। प्रान्ते सर्व मंगल० सुणा के प० पू० आ० म० सा० ने सपरिवार कुणगेर तरफ विहार किया।
सपरिवार पधारते हुए प० पू० आ० म० सा• का श्रीसंघने स्वागत किया। मंगलिक सुनाने के बाद प्रभावना हुई। (२८) श्री शंखेश्वर तीर्थ
वहां से हारीज, समी, बडी चांदुर पधारने के पश्चात् श्रोशंखेश्वरतीर्थ में पधारते हुए पेढी की ओर से प० पू० आ० म० सा० का स्वागत किया। छ दिन की स्थिरता दरम्यान प० पू० आ० म० सा०, पूज्य मुनिराज श्रीप्रमोदविजयजी म. सा. तथा पूज्य मुनिराज श्री जिनोत्तमविजयजी म. सा. ने श्रीशंखेश्वर पार्श्वनाथ प्रभु का अहम तप विधिपूर्वक किया।
उनके उपलक्ष में पूज्य मुनिराज श्री प्रमोदविजयजी म० सा० के सदुपदेश से अषाढ शुद एकम रविवार दिनांक १३-७ १९८० को 'श्री चिन्तामणी पाश्र्वनाथ महापूजन' मालगाम निवासी शा० शान्तिलाल चुनीलालजी कटारीया की तरफ से पढाया गया ।