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अषाढ शुद २ सोमवार दिनांक १४-७-१९८० को 'श्रीसिद्धचक्रमहापूजन' सादड़ी निवासी शा० रतनचन्द कुन्दनमलजी की ओर से पढाया गया।
इस पूजन में प० पु. आ० म० सा. के सदुपदेश से विधि में बैठे हुए सजोड़े श्री रतनचन्दजी के सुपुत्र शान्तिलाल ने श्रीनवपदजी का गीनी से पूजन किया और जीवदया की टीप में अपनी तरफ से ५०१) रुपये जाहेर किये।
विधिकारक धार्मिक शिक्षक श्री बाबुलाल मणीलाल भाभार वाले तथा विधिकारक नवयुवक श्री मनोजकुमार बाबुलालजी हरन ( एम. कॉ. ) सिरोही वाले ने ये दोनों पूजन श्रीशंखेश्वर पार्श्वनाथ प्रभु की छत्रछाया में और परमपूज्य आचार्यदेव श्रीमद्विजयसुशीलसूरीश्वरजी म. सा. की शुभ निश्रा में विधिपूर्वक सुन्दर पढायें । (२६) चाणस्मा-विद्यावाडी
वहां से विहार द्वारा मुजपुर, हारीज, कंबोई तीर्थ पधार कर अषाढ शुद १० मंगलवार दिनांक २२.७-१९८० को जन्मभूमि चाणस्मा में चातुर्मास प्रवेश करने के लिये, चाणस्मा स्टेशन के समीप आई हुई विद्यावाडी में जिनमन्दिर के दर्शनादि करके, शा. जयंतीलाल मंगलदास प्रेमचन्द के बंगले सपरिवार प. पू. आ० म. सा. ने