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स्थिरता की। वहां पर दोपहर में प० पू० आ० म. सा. का तथा उनके लघु शिष्यरत्न पूज्य मुनिराज श्रीजिनोत्तमविजयजी म. सा. का सुन्दर प्रवचन हुआ। शा० कीर्तिलाल वाडीलाल की तरफ से संघपूजा हुई। विद्यावाडी जिन मन्दिर में संघ की तरफ से प्रभावना युक्त पूजा भी पढाई गई । ४८ वर्ष के बाद जन्मभूमि चाणस्मा नगर में प्रथम चातुर्मासार्थे पधारेल प० पू० आ० म० सा० का अभूतपूर्व स्वागत करने के लिए श्रीसंघने अनेरा उत्साह पूर्वक पूर्ण तैयारी की।