Book Title: Kulak Sangraha
Author(s): 
Publisher: Sushilsuri Jain Gyanmandir

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Page 276
________________ इस प्रसंग पर संघवीजी की ओर से पू. आ. म. सा. द्वारा लिखी हुई "श्री उपधान तप आराधना मार्गदर्शिका" नाम की सुन्दर पुस्तक प्रकाशित की गई। श्री नाकोडाजी तीर्थ पर तपागच्छ का प्रथम उपधान भवोदधितारक पृ. आचार्य गुरुदेवश्री की निश्रा में अभूतपूर्वपरमशासन प्रभावना पूर्वक सुसंपन्न हुआ। (१२) लेटा (जिला-जालोर) चैत्र शुद १३ शनिवार दिनांक २६-३-८० को श्री महावीर जन्म कल्याणक का भव्य आयोजन तथा श्री शान्तिनाथ जिन मन्दिर तथा श्री श्रेयांसनाथ जिन मन्दिर इन दोनों जिन मन्दिरों में प्रतिष्ठा निमित्तक पत्रिका में जय जिनेन्द्र फलेचुंदडी, स्वामीवात्सल्य, पूजा आदि की बोलियां बोली गई थी, जो अकल्पनीय हुई। (१३) वादणवाडी (जिला-जालोर) चैत्र शुद १५ सोमवार दिनांक ३१.३.८० को संघवी मानमल श्रीचन्दाजी की ओर से अष्टोत्तरी शांति स्नात्र पढाया गया, तथा वैशाख (चैत्र) वद २ बुधवार दिनांक २ ५-८० को शासनसम्राट् समुदाय की आज्ञानुवर्तिनी तपस्विनी पू. साध्वी पुण्यप्रभाश्रीजी की शिष्या पू. साध्वी श्री रत्नप्रभाश्रीजी के श्री वर्धमान तप की ७३ वीं ओलि का पारणा हुआ।

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