Book Title: Kulak Sangraha
Author(s): 
Publisher: Sushilsuri Jain Gyanmandir

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Page 279
________________ इस शुभ प्रसंग पर इतिहासवेत्ता. स्व. पू पंन्यास प्रवर श्री कल्याणविजयजी गणिवर्य म. के गुरु भ्राता पू. मुनि श्री सौभाग्यविजयजी गणि, पू. मुनि श्री मुक्तिविजयजी म. तथा पू. मुनि श्रीमित्र विजयजी म. भी उपस्थित थे । (१७) कोसेलाव : श्री शन्तिनाथ जिनमन्दिर में श्री कोसेलाव संघ की ओर से श्री सिद्धचक्र महापूजन-अष्टादश अभिषेक बृहद् अष्टोत्तरी-शान्ति स्नात्र युक्त श्री जिनेन्द्र भक्ति स्वरुप द्वादशान्हिका महा महोत्सव वैशाख सुद ११ शुक्रवार दि. २५-४८० से प्रारम्भ हुआ, एवं अष्टोत्तरी प्रथम जेष्ठ (वैशाख) वद ५ सोमवार दि. ५-५.८० को पढाई गई। इस महोत्सव में प्रतिदिन प्रातः करवा एवं दोनों टंक के कुल २२ स्वामीवात्सल्यादि विशिष्ट प्रकार के हुये थे। प्रस्तुत महोत्सव में संघ का उत्साह अनेरा था। (१८) पाली: शा. तेजराज कपुरचन्दजी श्रीश्रीमाल की ओर से श्री सिद्धचक्र महापूजन, श्री पार्श्वनाथ भगवान के १०८ अभिषेक, श्री बृहद्अष्टोत्तरी शान्तिस्नात्र युक्त जिनेन्द्र भक्ति स्वरुप एकादशान्हिका महोत्सव के निमित्त प्रथम जेष्ठ (वैशाख ) वद १० शनिवार दि. १०-५-८० को प.

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