Book Title: Kulak Sangraha
Author(s): 
Publisher: Sushilsuri Jain Gyanmandir

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Page 281
________________ (२०) लणावा : शा. रुपाजी भगाजी गोलंक परिवार की ओर से ३१ छोड के उद्यापन सहित श्री वीशस्थानक महा पूजन तथा बृहद् अष्टोत्तरी शान्तिस्नात्र युक्त द्वादशान्हिका महोत्सव के निमित्त प्रथम जेष्ठ सुद ५ सोमवार दिनांक १६.५-८० को लुणावा प्रवेश । उस समय वहां विराजमान पू. आचार्य श्री विजय इन्द्रदिन्नसरीश्वरजी म. आदि का संमिलन हुआ। प्रवेश के समय प्रथम गहूंलि पर महोत्सव कराने वाले की ओर से स्वर्ण मुहर रखी गयी थी। और भी विशेष प्रकार की विविध गहूलिया बनाई थी । व्याख्यान में संघ पूजादि हुये थे। प्रथम जेष्ठ सुद 8 शुक्रवार दिनांक २३-५-८० को श्री अष्टोत्तरीस्नात्र पढ़ाया गया, तथा महोत्सव में दो स्वामी वात्सल्य हुये थे। लुणावा श्री संघ को श्री पद्मप्रभस्वामीजी के मन्दिर के विषय में मार्गदर्शन दिया गया । (२१) सेवाडी : प्रथम जेठ सुद ७ बुधवार दिनाक २१-५-८० को सेवाड़ी संघ की विनंति से तथा पू आचार्य श्री विजय इन्द्रदिन्नसुरीश्वरजी म. आदि के आग्रह से सेवाडी में दोनो

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