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पू. आचार्य गुरुदेव श्री तथा पू. आचार्य श्री इन्द्रदिन्नसूरीश्वरजी म. सा. आदि दोनों आचार्य भगवन्त आदि का अद्वितीय नगर प्रवेश तथा प्रथम जेष्ठ ( वैशाख ) वद ११ रविवार दि. ११-५-८० को अष्टोत्तरी स्नात्र पढाया गया ।
शा. तेजराज कपुरचन्दजी श्रीश्रीमाल की ओर से बाली के ११०० घर में स्टील का ढक्कन सहित बेडा की प्रभावना की गई तथा दो स्वामीवात्सल्य भी हुये । इस महोत्सव में जलयात्रा का वरघोडा, तथा इलेक्ट्रीक रचनादि दर्शनीय था ।
(१६) सादडी :
शा. मांगीलाल धनराजजी विदामिया की ओर से उनकी मातु श्री उमरावबाई ने की हुई श्री वीशस्थानक आदि विविध तप की आराधना के अनुमोदनार्थे २७ छोड के उद्यापन सहित श्री सिद्धचक्र-वीशस्थानक महापूजन श्री बृहद् अष्टोत्तरी शांतिस्नात्र युक्त महाहोत्सव प्रथम जेष्ठ (वैशाख) वद ८ गुरुवार दि. ८-५.८० से प्रथम जेठ सुद ४ रविवार दिनांक १८-५-८० तक मनाया गया ।
जिसमें अष्टोत्तरी स्नात्र एवं स्वामीवात्सल्य प्रथम जेठ सुद ३ शनिवार दिनां १७५-८० को हुआ ।