Book Title: Kulak Sangraha
Author(s): 
Publisher: Sushilsuri Jain Gyanmandir

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Page 277
________________ ३१ (१४ ) अगवरी (जिला-जालोर ) : शासन प्रभावक प. पू. आचार्यदेव श्रीमद्विजय मंगलप्रभसूरीश्वरजी म. सा. की आज्ञानुवतिनी पू० साध्वी श्री सुशीला श्री जी की शिष्या तपस्विनी पू० साध्वी श्री भाग्यलता श्रीजी के १०८ अट्ठम उपरांत : उपवास की तपस्या के निमित्ते अगवरी श्री संघ द्वारा आयोजित श्री ३१ छोड के उद्यापन सहित श्री भक्तामर पूजन, पाश्वनाथ भगवन्त के १०८ अभिषेक पूजन, नव्याण अभिषेक की बडी पूजा, श्री बृहद् अष्टोत्तरी शान्ति स्नात्र युक्त श्री अष्टान्हिका महामहोत्सव का वैशाख (चैत्र ) वद ९ बुधवार दिनांक १-४-८० को शुभारंभ एवं पूज्यपाद श्री का नगर प्रवेश हुआ। वैशाख सुद ३ गुरुवार दिनांक १७-४-८० को १०८ अट्ठम उपरांतह उपवास की तपस्या करने वाली पू. साध्वी श्री भाग्यलताश्री तथा उस प्रसंग पर २१-१५.११.८ उपवास की तपस्या करने वालों का पारणा हुआ । उपरोक्त महामहोत्सव श्री संघ के उत्साह के साथ शानदार संपन्न हुआ । ___ इस महोत्सव की पत्रिका भी आकर्षक सुन्दर नयनरम्य निकाली गयी थी। श्री जालोर जिल्ले में यह पहला अनूठा प्रसंग हुआ।

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