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खामणा कुलकम्
सद्दूलसीहगंडय- जाइसु, जीवघाय जणियासु। जे उबवन्नेण मए, विणासिया ते वि खामेमि ॥१२॥
अन्य भी व्याघ्र, सिंह, गैंडा आदि जीवघातक मांसाहारी जातियों में उत्पन्न जीवों को मारा हो तो उन सबसे त्रिविध प्रकार से क्षमा मांगता हूँ ॥ १२ ॥ बोलावगिद्धकुक्कुड, हंसबगाईसुसउणजाइसु। जे छुहवसेण खद्धा, किमि माइ ते वि खामेमि ॥१३
खेचर तियश्च योनि में, बाज, (श्येन) गिद्ध, कुक्कुट, हंसा, बकादि पक्षियों की योनि में उत्पन्न होकर मैने भूख के कारण किसी जीव को नष्ट किया हो तो त्रिविध प्रकार से क्षमा मांगता हूँ ॥ १३ ॥ मणुएसु वि जे जीवा, जीभिदिय मोहिएण मूढेण । पाद्धिरमंतेणं, विणासिया ते वि खामेमि ॥१४॥
मनुष्य योनि में भी जिह्वा के वशीभूत मेरे शिकार हुए कोई जीव हो तथा यदि उन्हें सताया हो तो त्रिविध प्रकार से क्षमाता हूँ॥ १४ ॥