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सा. श्रीकुमुदप्रभाश्रीजी की प्रशिष्या नूतन साध्वी श्री कल्पधर्माश्रीजी की बडी दीक्षा की गई।
(५) मध्याह्न विजयमुहूर्त में श्रीऋषभदेवजी के मन्दिर में विधिपूर्वक नूतन दण्ड धजारोहण किया गया और बृहद्शान्तिस्नात्र सुन्दर पढाया गया ।
चातुर्मास प्रवेश और आचार्यपदप्रदानादि प्रसंग पर तखतगढ़ से पधारे हुए शा० पुखराज हजारीमलजी की ओर से संघ पूजा हुई । तदुपरांत गुडाएन्डला श्रीसंघ और चाचोरी श्रीसंघ की तरफ से एकेक रुपैया की प्रभावना घर दीठ हुई। स्थायी संघ की ओर से भी सुबह और स्याम को प्रभावना हुई। प्रवेश प्रसंग के उपलक्ष में संघ में से १२५ उपरान्त मंगलकारी आयंबिल हुए। एक बृहद् शान्तिस्नात्र युक्त अष्टह्निका महोत्सव पूर्ण हुआ और दूसरा श्री सिद्धचक्रमहापूजन युक्त अष्टाह्निका महोत्सव का प्रारम्भ हुआ।