Book Title: Kulak Sangraha
Author(s): 
Publisher: Sushilsuri Jain Gyanmandir

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Page 268
________________ ३० सहित अगवरी गांव में पधारते हुए श्रीसंघने सोत्साह स्वागत किया, प्रवचन के पश्चात् प्रभावना हुई । पुनः पू. आ. म. सा. गुडाबालोतान पधार गये । [१०] श्री भक्तामर महापूजन मागशर (कात्तिक) वद मंगलवार दिनांक ६-११-७६ को परमपूज्य आचार्यदेव श्रीमद्विजय सुशीलसूरीश्वरजी म. सा. ने अपनी दीक्षा पर्याय के ४८ वर्ष पूर्ण करके ४६ वें वर्ष में प्रवेश किया । श्री जैन छात्रावास में चालु पञ्चाह्निका महोत्सव में 'श्री भक्तामर महापूजन' श्री गोविंदचन्दजी गृहपति तथा छात्रावास के विद्यार्थियों ने एवं विधिकारक धार्मिक शिक्षक श्री बाबूलाल मणीलाल भाभरवाले ने छात्रावास की तरफ से ठाठमाठ पूर्वक सुन्दर पढाया । पूज्यपाद आचार्यदेव के सदुपदेश से छात्रावास के जिनालय में प्रतिदिन सुबह जिनस्नात्र पढ़ाने की उद्घोषणा गृहपति श्री गोविंदचन्दजी महेता ने की। सबको आनन्द हुआ । प्रातः प्रभावना हुई ।

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