Book Title: Kulak Sangraha
Author(s): 
Publisher: Sushilsuri Jain Gyanmandir

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Page 272
________________ ३४ (७) जवाली: शा. मूलचन्द गेनमलजी सोनिमलिया द्वारा आयोजित श्री वरकाणा-राणकपुर आदि तीर्थ का छरि पालित ( पद यात्री) संघ प्रयाण निमित्त-मागशर (कार्तिक) वद-१३ शनिवार दिनांक १७-११-७६ को पूज्यपाद श्री का मंगल प्रवेश तथा श्री सिद्धचक्र महापूजन युक्त अष्टाहिका महोत्सव का मंगल प्रारम्भ हुआ। मागशर सुद-५ शनिवार दि. २४.११.७६ को श्री सिद्धचक्र महापूजन तथा मागशर सुद-६ रविवार दि. २५-११-७६ को श्री वरकाणा-राणकपुर आदि पंचतीर्थी का 'चरी' पालित संघ का मंगल प्रयाण हुआ। __यह संघ जवाली से नादणा ( विजोवा) वरकाणा, नाडोल, नारलाई, सुमेर, देसुरी, घाणेराव ) मुछाला महावीर (कीर्तिस्थम्भ छोडा, सादडी होते हुए राणकपुर प्रवेश, वहां पोष ( मागसर ) वद-२ बुधवार दि. ५-७६ को तीर्थ माला इस भव्य पदयात्री संघ में प. पू. आचार्य गुरु भगवन्त के साथ समर्थ प्रवचनकार पू. आचार्य प्रवर श्रीमद् विजय विकाशचन्द्रसूरीश्वरजी म. सा. मधुर भाषी पू. उपाध्याय श्री विनोदविजयजी गणिवयं म. सा. तथा विद्वद्वर्य प. पू. उपाध्याय श्री मनोहरविजयजी गणिवर्य म. सा. ( अभि

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