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उसी दिन
(१) स्वर्गीय साहित्य सम्राट् प० पू० आचार्यप्रवर श्रीमद् विजय लावण्यसूरीश्वरजी म. सा. के पट्टधर शिष्यरत्न पूज्य उपाध्याय श्रीविकासविजयजी गणिवर्य को आचार्य पदार्पण की नाण समक्ष क्रिया हुई, और उन्हें शास्त्र विशारद पद से समलंकृत नूतन आचार्य श्रीमदविजयविकासचन्द्रसूरि नाम से पूज्यपाद् आचार्यदेव श्रीमविजयसुशीलसूरोश्वरजी म. सा. ने चतुर्विध संघ समक्ष जाहेर किये ।
(२) ज्ञानाभ्यासी-कार्यदक्ष पूज्य मुनिराज श्रीजिनोतमविजयजी म. को श्रीमहानिशिथ सूत्र के योग में प्रवेश कराया।
(३) प. पू. शासन सम्राट् समुदाय के आज्ञानुवर्तिनी स्वर्गीय पूज्य साध्वीजी श्रीजिनेन्द्रश्रीजी म. के परिवार की पू० सा० श्री कीर्तिसेनाश्रीजी को श्री आचारांग सूत्र के योग में तथा पू. साध्वी श्री भव्यपूर्णाश्रीजी और पू० साध्वी श्रीतत्त्वरुचिश्रीजी को श्रीउत्तराध्ययन सूत्र के योग में प्रवेश कराये। ___(४) शासनप्रभावक परमपूज्य आचार्यवर्य श्रीमद्विजयधर्मसूरीश्वरजी म. सा. की आज्ञानुवर्तिती पू०