Book Title: Kulak Sangraha
Author(s): 
Publisher: Sushilsuri Jain Gyanmandir

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Page 263
________________ २५ धर्मशाला का वडा युक्त एक रूम, अपनी तरफ से कराने की घोषणा की। श्री भीड़भंजन पार्श्वनाथ के मन्दिर में पंचकल्याणक पूजा प्रभावना युक्त पढायी गई। शाम को पू० आ० म० आदि गुडाबालोतरा पधार गये । ॥ ग्राह्निका - महोत्सव ॥ कार्तिक (आश्विन वद ११ मंगलवार दि० १६-१०-७६ की शा. हिम्मतमल पुखराज भीमाजी ने अपनी माताजी के श्रेयोऽर्थे अष्टाह्निका - महोत्सव का प्रारम्भ किया । (2) दीपावली पर्व के उपलक्ष में छठ तप की आराधना चतुर्विध संघ में सुन्दर हुई | (२) पू० बालमुनि श्री जिनोत्तमविजयजी म० सा० ने भी अहम तप की पूर्णाहुति अमावस के दिन को । दीपावली के देववंदन भी हुए । (३) अमावस्या के दिन सादडी वाले शा. सोहनराजजी तथा शा. विमलचन्दजी आदि वन्दनार्थ आकर व्याख्यान में संघपूजा तथा एकेक रुपये की प्रभावना की ।

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