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खामणा कुलकम्
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मिथ्यात्व से मूढ बन कर मन्द बुद्धि द्वारा मैंने परस्पर कलह कराकर यदि जीवों को सताया है उन सब से क्षमा याचना करता हूं ॥ २४ ॥ दवदाणपलीवणयं, काऊणं जे जीवा मए दडढा । सरदहतलायसोसे, जे वहिया ते वि खामेमि ॥२५॥
दावानल सुलगा कर जिन जिन जीवों को जला डाला तथा सरोवर तालाबों को सुखा कर मत्स्यादि का वध किया हो उन सबसे क्षमा याचना करता हूं ॥ २५ ॥ सुहदुललिएण मए, जे जीवा केइ भोगभूमिसु । अंतरदीवेसुवा, विणासिया ते वि खामेमि ॥२६॥
भोगभूमि यानि युगलिक क्षेत्रों में अन्तरद्वीपों में मनुष्य रूप में बना मैं यदि जीवों के प्रति निर्दय बना हूँ तो उन सबसे क्षमा याचना करता हूं ॥ २६ ॥ देवत्ते वि य पते, केलिपबोसेण लोहबुद्धीए। जे दूहविया सत्ता, ते वि य खामेमि सव्वे वि ॥२७॥
देवत्व में उत्पन्न होने पर मेरे द्वारा काम क्रीडारत होकर या प्रद्वेष से यदि किन्ही जीवों को सताया गया हो तो उनसे भी क्षमा याचना करता हूं ।। २७ ॥