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प्रमादपरिहार कुलकम्
अर्थ - - यह महाप्रमाद मोहराजा का सेनानी है, सुखीजनों को धर्म में विघ्नकर्त्ता दुरात्मा है। तथा सर्व जीवों का यह महान रिपु याने शत्रु है अहो ! यह महाकष्टकारी हकीकत है ॥ ३२ ॥ एवं वियाणिऊगां मुळेच. मायं सयावि रे जीव ।
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पाविहिसि जेण सम्मं, जिणपय सेवाफलं रम्मं
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अर्थ -इस तरह जाणकर रे जीव । तू सदा के लिये प्रमाद को छोड़ दे - कि जिससे सम्यग् जिनपाद याने जिनचरण की सेवा का सुन्दर ऐसा फल मिले प्राप्त करे ||३३||
।। इति प्रमादपरिहार कुलकस्य सरलार्थः सम्पूर्णः ।।
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